For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

अच्छी संगत से ही चलेगा नशे पर नश्तर

07:03 AM Dec 08, 2024 IST
अच्छी संगत से ही चलेगा नशे पर नश्तर
Advertisement

केवल तिवारी
महापुरुषों के दिखाए रास्ते के मुताबिक संगत यानी दोस्ती-यारी की बात करें तो दो तरह की सीख सामने आती हैं। एक, जिसमें रहीम दास जी कहते हैं, ‘कह रहीम कैसे निभै, बेर केर को संग। वे डोलत रस आपने, उनके फाटत अंग।’ और दूसरा, जिसमें कबीरदास जी कहते हैं, ‘संत ना छोड़े संतई, कोटिक मिले असंत। चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत।’
पहले दोहे में रहीम दास जी के कहने का अर्थ है कि दो विपरीत प्रवृत्ति (सज्जन-दुर्जन) के लोग साथ नहीं रह सकते। उन्होंने बेर और केले के पेड़ का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर दोनों आसपास होंगे तो उनकी संगत कैसे निभ सकती है? दोनों का अलग-अलग स्वभाव है। बेर को अपने रसीले होने पर घमंड है, लेकिन कांटेदार है। केले के पेड़ को अपने पत्ते पर घमंड है, लेकिन बेर के कांटों से वह छिल जाते हैं।
दूसरे दोहे में कबीरदास जी कहते हैं कि सज्जन पुरुषों को जितने मर्जी गलत लोग मिल जाएं, लेकिन उसकी सज्जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने उदाहरण दिया कि चंदन के पेड़ पर जहरीले सांप लिपटे रहते हैं, लेकिन वह अपनी शीतलता नहीं छोड़ता है।
इन दोनों उदाहरणों से इतर एक प्रसिद्ध उद्धरण है, ‘काजल की कोठरी में कैसो ही सयानो जाए, एक लीक काजर की लागिहै पे लागिहै।’ इसमें कवि कहते हैं कि आप कितने ही अच्छे हों, संगत अगर बुरी है तो उसका असर तो पड़ ही जाता है।
संगत के संबंध में उपरोक्त उदाहरणों के माध्यम से बात कर रहे हैं नशे की गिरफ्त में आती हमारी नयी पीढ़ी की। पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड हो या फिर कोई अन्य राज्य। नशे के कारण नाश की ओर बढ़ते बच्चों की दर्दनाक कहानियां अक्सर सुनने, पढ़ने और देखने को मिल जाती हैं। अत्यंत दुखद स्थिति तो तब होती है जब यह पता चलता है कि जिनके कंधों पर नशे के सौदागरों को रोकने की जिम्मेदारी थी, वे ही नशे के कारोबारी बने मिले।

Advertisement

अच्छी आदतें, अच्छी दोस्ती

असल में अच्छी या बुरी संगत की बात आज हम नशे की लत के साथ जोड़कर कर रहे हैं। क्योंकि पिछले दिनों अनेक जगहों से ऐसी खबरें आयीं जिनका लब्बोलुआब यह था कि खराब संगत से चिट्टे की लत लग गई। सिल्वर पन्नी पर रखकर इस सफेद जहर को पीना शुरू किया। लत ऐसी लगी कि घर के बर्तन तक बेच दिए। नशा सिर्फ चिट्टे का ही नहीं, और भी कई तरह का, जिसने नाश की ओर ही धकेला। जानकार कहते हैं कि अपनी इच्छाशक्ति दृढ़ रखने वाले विरले ही होते हैं, खासतौर पर किशोरावस्था-युवावस्था की दहलीज पर पहुंचे बच्चे। इसलिए ऐसे मौकों पर बच्चों पर नजर रखनी बहुत जरूरी है। संगत की बात इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि सफलता की कुंजी कहती है कि जीवन की सफलता अच्छी आदतों में ही निहित है। अच्छी आदतें और ज्यादा डेवलप हों और बरकरार रहें, इसके लिए अच्छी दोस्ती जरूरी है। अभिभावक इस बात को जितनी जल्दी समझ जाएं अच्छा है। क्योंकि समय निकल जाने के बाद किया गया प्रयास व्यर्थ ही होता है। जानकार कहते हैं कि किशोरावस्था और युवावस्था में बुरी आदतें अधिक प्रभावित करती हैं। इसलिए उम्र की इन अवस्थाओं में विशेष सतर्कता और सावधानी बरतने की जरूरत है। नशा व्यक्ति की बुद्धि का नाश करता है। सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए इससे दूर रहने से ही तरक्की के दरवाजे खुलते हैं।

खेप पकड़ी गयी, कहां खप रहा नशा

आये दिन खबरें आती हैं कि नशे की इतनी खेप पकड़ी गयी। जो नशा पकड़ा गया, हो सकता है उसे नष्ट कर दिया जाता हो, लेकिन जो पहुंच गया, वह कहां खप रहा है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि नशा कहां खप रहा है। जवान होते बच्चे उनकी गिरफ्त में आ रहे हैं, आखिर तंत्र कहां छिपा रहता है।

Advertisement

अंतर्राष्ट्रीय साजिश

जानकार कहते हैं कि देश की भावी पीढ़ी को बर्बाद करने की यह अंतर्राष्ट्रीय साजिश है। ओवरडोज से मौत, नशे के लिए घर-बार की बिक्री जैसी खौफनाक खबरें आये दिन आती रहती हैं। विभिन्न सीमाओं से अलग-अलग तरीके से अलग-अलग तरह के नशे की सामग्री पहुंच रही है। सीमाओं पर नशे की इस घुसपैठ के खिलाफ एनकाउंटर अभियान चलाया जाना बेहद जरूरी है। नहीं तो स्थिति और भयावह होने से कोई नहीं रोक पाएगा।

Advertisement
Advertisement