अहंकार के त्याग से ही क्षमा का भाव होगा उत्पन्न : राज्यपाल
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 24 सितंबर (हप्र)
क्षमा कोई खेल तमाशा नहीं है, क्षमा एक अंदर का भाव है। जब अहंकार को गिराकर संयम के रास्ते पर पग चलने लग जायेंगे, तब ही क्षमायाचना संभव है।
ये शब्द पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने पंजाब राजभवन में आयोजित क्षमायाचना पर्व के अवसर पर संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा जैन धर्म का इतिहास बेहद पुराना है। जैन दर्शन में खास बात है कि सब प्रकार की सुविधाएं होने के बावजूद लोग झोला लेकर चल पड़ते है। कोई न कोई चमत्कार तो इस दर्शन में है। इस मौके पर मनीषी संतमुनिश्री विनय कुमार आलोक ने राजभवन में संबोधित करते हुए कहा कि क्षमा याचना के इस पर्व पर हम सब एक मंच पर एकत्रित होकर मन के छोटे-मोटे भेदभाव को भूलकर अपने जैनत्व को उजागर करें।
इससे पूर्व मनीषी संत ने सेक्टर-7 के चौक से विशाल मैत्री पदयात्रा के साथ पंजाब राजभवन में प्रवेश किया। कार्यक्रम की शुरूआत राष्ट्रीय गान, नमस्कार महामंत्र से हुई। इसके बाद एसएस जैन सभा की बहनों ने गीत प्रस्तुत किया, तो वहीं प्रज्ञा जैन ने राज्यपाल पर लिखित गीत की पंक्तियों को पढ़ा। इस दौरान सेक्टर-18 के अखिल भारतीय जैन कॉफ्रेंस के महामंत्री मुकेश जैन, श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज के सुशील जैन, तेरापंथ के अध्यक्ष वेद प्रकाश जैन और श्रावक समाज बड़ी संख्या में उपस्थित था।