Online Judicial solutions घर बैठे विवाद निपटान का मंच
ज्यूपिटस कानूनी -न्यायिक सेवा उपलब्ध कराने का डिजिटल मंच है जिसके जरिये उपभोक्ता अदालतों समेत विभिन्न न्यायालयों में वादी-प्रतिवादी मुकदमों की पैरवी वर्चुअली कर रहे हैं। इससे समय व धन की बचत हो रही है। यह संबंधित पक्षों को वकीलों व अन्य पेशेवरों से जोड़ता है। यह दूरदराज के लोगों के लिए घर बैठे न्याय का सुलभ जरिया सिद्ध हो रहा है।
श्रीगोपाल नारसन
देश की उपभोक्ता अदालतों को राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर वर्चुअल कर दिया गया है जिससे वाद दायर करने वाले और उनके अधिवक्ता अब घर बैठे ही उपभोक्ता अदालतों में अपने मुकदमों की पैरवी वर्चुअल रूप में कर रहे हैं। जिससे समय और धन की बहुत बचत हो रही है। ऐसा होने से शीघ्र,सुलभ व सस्ता न्याय का स्वप्न भी साकार हो रहा है। हम यह भी कह सकते हैं कि अब कानूनी विवादों के लिये वकीलों और अदालतों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। दुनिया की पहली न्याय प्रौद्योगिकी कंपनी ज्यूपिटस जस्टिस टेक्नोलॉजीज ने कानूनी विवादों के शीघ्र और आसान समाधान के लिये एक डिजिटल न्यायिक मंच भी शुरू किया है। इस मंच के जरिये कोई भी व्यक्ति या इकाई उपभोक्ता,कारोबारी और दीवानी विवादों का समाधान कम खर्च में घर बैठे ही प्राप्त कर सकता है।
न्याय में मददगार डिजिटल मंच
ज्यूपिटस ऑनलाइन कानूनी एवं न्यायिक सेवा उपलब्ध कराने का प्रौद्योगिकी मंच है। यह रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण (रेरा), विद्युत विनियामक आयोग ,उपभोक्ता राष्ट्रीय एवं राज्य आयोग जैसे संस्थानों को डिजिटल मंच के रूप में मदद करने के साथ ‘ऑनलाइन न्यायिक सेवा ‘मार्केटप्लेस’ भी है, जो कानूनी विवादों में फंसे लोगों और विवाद समाधान पेशेवरों को जोड़ता है। कोई भी व्यक्ति या फर्म मंच पर अपना इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए अपना अकाउंट बना सकता है, मध्यस्थ नियुक्त कर सकता है और विवादों का निपटान कर सकता है। इस मंच के जरिये मामला दर्ज करने से लेकर निर्णय तक की प्रक्रिया का निपटान संभव है।
कम खर्च का भी पहलू
देश की विभिन्न अदालतों में मई, 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 4.7 करोड़ मामले लंबित थे। ज्यूपिटस विवादों के समाधान का एक परिपक्व मंच है। सरकार भी ऑनलाइन विवाद समाधान व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये कदम उठा रही है। सामान्य तौर पर कानूनी विवाद के निपटान का खर्चा दावा राशि का 35 प्रतिशत तक होता है। इस मंच के जरिये यह खर्चा 85 प्रतिशत तक कम हो जाता है। वित्त वर्ष 2021-22 में 8,000 से अधिक मामले ज्यूपिटस मंच पर आये। इसमें से 70 प्रतिशत मामलों का निपटान किया गया। ज्यूपिटस मंच से 3,000 वैकल्पिक समाधान पेशेवर जुड़े हैं। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय के 10 सेवानिवृत्त जजोंं समेत कुल 33 न्यायाधीश और राष्ट्रीय उपभोक्ता मंच के सेवानिवृत्त सदस्य भी हैं।
आभासी अदालतों की नई अवधारणा
‘न्याय घर-घर’ पहुंचाने के इरादे से डिजिटल मंच विकसित करने के लिए विभिन्न सरकारी प्राधिकरणों और मध्यस्थता केंद्रों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के अलावा रणनीतिक भागीदारी भी की है। इसमें गुरुग्राम रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण, त्रिपुरा विद्युत विनियामक आयोग और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्बिट्रेशन एंड मीडिएशन शामिल हैं। छोटे अपराध केस निपटाने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत आभासी अदालत की नई अवधारणा पेश की गई है। इसमें कोर्ट रूम की आवश्यकता नहीं। इसका उद्देश्य अदालतों में लोगों की संख्या कम करना है।
जज भी वर्चुअल
वर्चुअल कोर्ट का प्रबंधन, वर्चुअल जज द्वारा किया जा सकता है, जिसका अधिकारिता का विस्तार पूरे राज्य में किया जा सकता है और सातों दिन चौबीसों घंटे कार्य किया जाता है । इस प्रकार, कीमती न्यायिक समय और जनशक्ति की बचत होगी। वादियों को ई-फाइलिंग के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से वाद दायर करने और न्यायालय शुल्क या जुर्माना का ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा प्रदान की जाती है। वादीगण, सेवा वितरण के लिए बनाए गए विभिन्न चैनलों के माध्यम से मामले की स्थिति को ऑनलाइन भी देख सकते हैं, इसलिए पूरी कवायद घर बैठे की जा सकती है। अब तक यहां 28 आभासी अदालतों द्वारा 6.2 करोड़ से अधिक की सुनवाई की गई और बीत साल अक्तूबर तक 64 लाख से अधिक मामलों में 668.95 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन जुर्माने की वसूली की गई है। ई-कोर्ट के फलीभूत हो जाने से न्याय के क्षेत्र में इसे एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है,जिसका सीधा लाभ वादकारियों को मिल रहा है। -लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।