एक फीसदी अमीरों के पास 40% संपत्ति
संदीप दीक्षित/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 20 मार्च
एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में आर्थिक असमानता चरम की ओर है। यह दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिकी देशों से भी ज्यादा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में देश की सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी की आय में हिस्सेदारी बढ़कर 22.6 प्रतिशत हो गई है। वहीं संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 40.1 प्रतिशत हो गई है। यह आंकड़ा 1922 के बाद से दर्ज उच्चतम स्तर पर है। द वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब द्वारा भारत में असमानता की एक शताब्दी लंबी जांच का यह निष्कर्ष है।
‘भारत में आय और धन असमानता, 1922-2023 : अरबपति राज का उदय’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया है कि स्वतंत्रता के बाद की अवधि में असमानता कम हो गई, लेकिन 1980 के दशक की शुरुआत में बढ़ना शुरू हुई, और 2000 के दशक की शुरुआत से आसमान छू गई है। यह असमानता 2022-23 में शीर्ष पर पहुंची।
यह रिपोर्ट थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब), लुकास चांसल (हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) और नितिन कुमार भारती (न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब) द्वारा लिखी गई है। चार वामपंथी झुकाव वाले अर्थशास्त्रियों के पेपर में लिखा गया है कि भारत के आधुनिक पूंजीपति वर्ग के नेतृत्व वाला ‘अरबपति राज’ अब उपनिवेशवादी ताकतों के नेतृत्व वाले ब्रिटिश राज की तुलना में अधिक असमान है। यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह की असमानता का स्तर बड़े सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल के बिना कितने समय तक बना रह सकता है। लेखकों के अनुसार नीतिगत सुधारों से आय और धन असमानता को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
अचानक बढ़ी अरबपतियों की संख्या
फोर्ब्स अरबपति रैंकिंग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि 1 अरब डॉलर से अधिक की कुल संपत्ति वाले भारतीयों की संख्या 1991 में केवल एक से बढ़कर 2022 में 162 हो गई। भारत के 10,000 सबसे अमीर व्यक्तियों के पास औसतन 2,260 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो 16,763 गुना है।
सुपर टैक्स का सुझाव
रिपोर्ट तैयार करने वालों ने अरबपतियों पर सुपर टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। 2% का सुपर टैक्स राष्ट्रीय आय के 0.5% के बराबर राजस्व देगा। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा जैसी परियोजनाओं की फंडिंग हो सकेगी।
ब्रिटिश काल से भी बदतर हालात : कांग्रेस
इस अध्ययन पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि रिपोर्ट के नतीजे बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा, ‘मुख्य बात यह है कि मोदी का अरबपति राज, जिसे उन्होंने अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने और अपनी पार्टी के अभियानों को वित्तपोषित करने के लिए पाला था, उसके कारण आज हालात ब्रिटिश राज से भी बदतर हैं।’