One Nation, One Election ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक इसी सत्र में !
अदिति टंडन/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 9 दिसंबर
One Nation, One Election सत्तारूढ़ भाजपा सरकार अपने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के वादे को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है और सरकार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में संबंधित विधेयक ला सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को कहा कि संविधान और विभिन्न कानूनों में लगभग 18 संशोधन लाने के लिए छह विधेयकों की आवश्यकता होगी, जैसा कि रामनाथ कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव पर अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल 18 सितंबर को मंजूरी दे दी थी।
एक बार विधेयक लाए जाने के बाद, इसे राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों और सिविल सोसायटी सहित हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के लिए संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा जाएगा।
One Nation, One Election समान नागरिक संहिता के साथ-साथ, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’One Nation, One Election परियोजना भाजपा का एक प्रमुख लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान एक साथ चुनाव को वास्तविकता बनाने के लिए अपनी सरकार के इरादे की घोषणा की थी। इस योजना में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की परिकल्पना की गई है। गृह मंत्री अमित शाह पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि पीएम मोदी के मौजूदा कार्यकाल में एक देश एक चुनाव का एजेंडा लागू किया जाएगा। सूत्रों ने आज कहा कि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, किरेन रिजीजू और अर्जुन राम मेघवाल इस मुद्दे पर राजनीतिक दल के नेताओं से बात करेंगे।
अनिर्णय की स्थिति में कुछ पार्टियां
जेएमएम, केरल कांग्रेस, एनसीपी, राजद, आरएसपी, एसडीएफ, टीडीपी, वाईएसआरसीपी ने फीडबैक के लिए समिति के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया था, जिसका मतलब है कि उनका रुख अस्थिर रहा।
Also Read :
Adani case : अदाणी मामले पर विपक्षी सांसदों का संसद परिसर में प्रदर्शन
दो-तिहाई सांसदों के वोट की होगी आवश्यकता
संवैधानिक संशोधन विधेयकों को पारित करने के लिए सरकार को संसद के दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सांसदों के वोटों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में, राज्यसभा की प्रभावी ताकत 231 है और एनडीए के पास 112 है जहां साधारण बहुमत 116 है। लोकसभा में 543 सांसदों में से एनडीए के पास 303 हैं। साधारण बहुमत 272 है। ऐसे में सरकार को विधेयक को पारित कराने के लिए संख्याबल पर काम करना होगा। इस मुद्दे पर कोविंद पैनल को जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 15 ने विरोध किया और 32 ने योजना का समर्थन किया।
ये दल कर रहे सिफारिशों का समर्थन
भाजपा नेशनल पीपुल्स पार्टी, एआईएडीएमके, एसएडी और एजेएसयू, अपना दल (सोनी लाल), जेडीयू, एलजेपी और आरएलपी समेत एनडीए के बहुमत सहयोगी उन दलों में शामिल हैं, जिन्होंने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है।
ये पार्टियां कर रही विरोध
विरोध करने वाली पार्टियों में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, सीपीएम, टीएमसी, एआईयूडीएफ, टीएमसी, एआईएमआईएम, सीपीआई, डीएमके, नागा पीपुल्स फ्रंट, एसपी, सीपीआईएमएल और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया शामिल हैं।