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एकदा

05:30 AM Nov 13, 2024 IST

एक बार गुरु असीमानंद से उनके शिष्य ने प्रश्न किया, ‘गुरुदेव, एक पल के विचार का क्या महत्व है?’ गुरुदेव ने कहा, ‘वत्स, एक पल में कितनी ही बार बरसों की साधना और तप की झलक अभिव्यक्त हो जाती है। एक पल में मीरा ने तय कर लिया था कि श्रीकृष्ण को जीवन समर्पित करना है। एक पल में सीता ने मन ही मन श्रीराम का वरण किया और शिव-धनुष खुद श्रीराम के हाथों में आ जाने को बेचैन हुआ। एक पल में सिद्धार्थ ने महल त्याग कर बुद्ध बनने का संकल्प लिया।’ एकटक सुन रहे शिष्य ने असीम संतोष का अनुभव किया। वह भली-भांति समझ गया कि एक पल की उमंग का वास्तव में कोई पारावार नहीं है। प्रस्तुति : पूनम पांडे

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