एकदा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन मैसूर के महाराजा कॉलेज में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर के रूप में आए। शुरुआत में छात्रों ने शरारतें कीं, लेकिन प्रोफेसर ने उनसे मित्रवत व्यवहार किया, जिसका छात्रों पर गहरा प्रभाव पड़ा। धीरे-धीरे दर्शन शास्त्र में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी, और कक्षा के बाद उनकी शिक्षाओं पर चर्चा होती रही। एक दिन यह खबर आई कि प्रोफेसर जा रहे हैं, तो छात्रों का दिल टूट गया। जब प्रो. राधाकृष्णन को यह बात ज्ञात हुई, तो उन्होंने आत्मीयता से समझाया कि जीवन में सबका साथ एक नियत समय तक होता है। कुछ समय बाद तुम भी पढ़ाई पूरी कर यहां से चले जाओगे। तब तुम शिक्षाओं की ज्योति अपने कार्यों से जलाना। विदाई के दिन, एक घोड़ागाड़ी को फूलों से सजाया गया। जब प्रोफेसर गाड़ी पर सवार होने के लिए आए, तो यह देखकर दंग रह गए कि उनके कुछ विद्यार्थी घोड़े की जगह स्वयं गाड़ी को खींच रहे थे। गाड़ी को खींचते हुए उन्होंने अपने प्रिय शिक्षक को मैसूर रेलवे स्टेशन पर उतारा। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की आंखें भी विद्यार्थियों की इस भावभीनी विदाई से नम हो गईं।
प्रस्तुति : रेनू सैनी