एकदा
एक बार एक महात्मा से एक व्यक्ति ने पूछा कि अच्छा ‘गुण’ क्या है? महात्मा ने उसे समझाते हुए कहा कि ‘दो प्रकार के वृक्ष हैं’ कुछ जो अपना फल स्वयं सभी के लिए सामने रखते हैं और कुछ अपना फल छुपा कर रखते हैं। जो फल स्वयं औरों को दे देते हैं उन वृक्षों को सभी खाद पानी देकर सुरक्षित रखते हैं। ये वृक्ष फिर फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन जो वृक्ष अपना फल छुपा कर रखते हैं, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता है। ठीक इसी प्रकार जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में लगाते हैं, उनका सभी ध्यान रखते हैं। वे यश प्राप्त करते हैं। लेकिन जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छुपाकर रखते हैं; किसी की सहायता से मुख मोड़ते हैं; वे समय रहते ही भुला दिए जाते हैं। अतः सदैव दूसरों की सेवा सहायता ही सबसे अच्छा गुण है।’ प्रस्तुति : संदीप भारद्वाज