एकदा
करनी की भरनी
एक आर्किटेक्ट एक बिल्डर्स कंपनी में बहुत सालों से अच्छा काम कर रहा था। एक दिन कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्ज ने उसे बुलाया और उसको एक मकान का नक्शा देते हुए कहा कि वह शहर के किसी बढ़िया से बढ़िया क्षेत्र में एक भूखंड लेकर उसमें बहुत भव्य मकान बनाए। मकान में बेहतर से बेहतर भवन सामग्री का उपयोग किया जाए और इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि मकान का निर्माण अच्छे कारीगरों से करवाया जाए। व्यय की चिंता करने की कतई कोई जरूरत नहीं है। पता नहीं क्यों एकाएक आर्किटेक्ट के मन में कुछ बेईमानी आ गई और उसने बंगला बनवाने के लिए अकुशल कारीगर काम में लगाए। भवन सामग्री भी निम्न से निम्न स्तर की लेकर अपने लिए बहुत सारा धन बचा लिया। इस प्रकार मकान बनकर खड़ा हो गया। मकान के बनने पर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्ज के चेयरमैन ने आर्किटेक्ट को बोर्ड के सामने प्रस्तुत करके उसके इतने वर्ष के अच्छे कार्यों की तारीफ की और वह मकान उसी को पुरस्कार स्वरूप भेंट कर दिया। प्रस्तुति : राजकिशन नैन