एकदा
एक बार महान संत कबीर अपने आंगन में बैठे धूप सेंक रहे थे। उनके पास एक युवक आया, कबीर साहब जी तुरंत भाप गए कि यह युवक अवश्य ही चिंतित है। और यही हुआ, उसने प्रश्न किया कि महाराज जी विवाह करना उचित है या नहीं? यह प्रश्न सुनकर संत कबीर कुछ समय चुप रहे। फिर कुछ समय पश्चात कबीर साहब ने अपनी धर्मपत्नी को आवाज़ लगाई और कहा कि जरा लालटेन जला कर लाना। पत्नी लालटेन जला कर ले आईं। वह युवक बोला, महात्मा जी! आप तो अजूबा हैं ही आपकी पत्नी भी खूब हैं। अरे! धूप में बैठे हो तो लालटेन की क्या जरूरत है? और आपकी पत्नी भी बिना सोचे-समझे लालटेन जला लायी। कबीर बोले, बस! यही आपके प्रश्न का उत्तर है। पति-पत्नी में एक-दूसरे के प्रति समर्पण हो कोई शक, शंका या तर्क न हो तो ही विवाह करना उचित है। इन सभी बातों को सुनकर युवक को अपने प्रश्न का उचित जवाब मिल गया। प्रस्तुति : संदीप भारद्वाज