मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

एकदा

07:19 AM May 07, 2024 IST
Advertisement

रूसी साहित्य के लेखक मैक्सिम गोर्की को आज हर कोई जानता है, पर बहुत कम व्यक्ति इस बात से परिचित हैं कि उनके जीवन के प्रारंभिक दिन बहुत संघर्षमय रहे। आर्थिक रूप से विपन्न गोर्की को बहुत वर्षों तक नौकर के रूप में कार्य करना पड़ा और अपने साहित्य प्रेम के कारण अपने मालिकों के दुर्व्यवहार को भी सहन करना पड़ा। अपनी आर्थिक स्थिति से तंग आकर एक दिन उन्होंने स्वयं को गोली मार ली, पर गोली दिल में न लगकर फेफड़ों में लगी और उनका जीवन बच गया। इन्हीं कष्टमय दिनों में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक लिखी और उसके प्रकाशित होते ही वे एक सुविख्यात लेखक के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। बाद में अपने कठिन दिनों को याद करते हुए गोर्की ने एक बार कहा, ‘जब तक आदमी काम को ड्यूटी समझकर करता है, उसका जीवन गुलाम का होता है, पर जिस दिन वो उस काम को अपनाकर करता है, उस दिन उसके जीवन में सुख और आनंद की शुरुआत होती है।’ जीवन में सुखी रहने का यह छोटा-सा सूत्र कई मायनों में बेशकीमती है। प्रस्तुति : भागीरथ कुमार

Advertisement
Advertisement
Advertisement