For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

एकदा

07:50 AM Mar 15, 2024 IST
एकदा
Advertisement

पंजाब के क्रांतिकारी युवक पंडित रामरक्खा को ब्रिटिश राज्य के विरुद्ध विद्रोह भड़काने के आरोप में आजीवन कारावास का दंड देकर अंडमान की जेल भेजा गया। जेल पहुंचते ही जेलर ने उन्हें गले से यज्ञोपवीत को निकालने का आदेश दिया। रामरक्खा ने कहा’ ‘जनेऊ हम ब्राह्मणों का धार्मिक चिन्ह है। मैं इसे धारण किए बिना पानी तक नहीं पी सकता।’ अंग्रेज जेलर के आदेश पर वार्डनों ने उसे पकड़कर जबरदस्ती यज्ञोपवीत उसके गले से निकाल कर तोड़ कर फेंक दिया। रामरक्खा उसी समय से यज्ञोपवीत तोड़े जाने के विरोध में अनशन पर बैठ गया। वीर सावरकर, भाई परमानंद तथा अन्य अनेक क्रांतिकारी भी उसी जेल में बंद थे। सभी ने उससे प्राण रक्षा का आग्रह किया तथा परामर्श दिया कि अन्न ग्रहण कर ले और अपनी जनेऊ धारण करने की मांग करता रहे। किंतु वह स्वाभिमानी धर्मवीर अन्न-जल ग्रहण करने को तैयार नहीं हुआ। लगभग 20 दिन तक अनशन करने के बाद उसने प्राण त्याग दिए। उसके इस अनूठे बलिदान की चर्चा देश के समाचारपत्रों में हुई। उसके प्राणोत्सर्ग का यह परिणाम निकला कि भारतीय बंदियों को यज्ञोपवीत धारण करने की अनुमति मिल गई।

Advertisement

प्रस्तुति : अंजु अग्निहोत्री

Advertisement
Advertisement
Advertisement