एकदा
07:52 AM Jan 03, 2024 IST
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एक रात संत सुंदरैया प्रवचन कर रहे थे। सामने बैठा एक व्यक्ति झपकी ले रहा था। संत ने तीन बार उस व्यक्ति को जगाने का प्रयास किया और पूछा, ‘भक्त सोते हो?’ तीनों बार उत्तर मिला, ‘नहीं महाराज!’ इसके बाद वह व्यक्ति फिर से सो गया। संत ने सोचा, यह व्यक्ति सोया रहता है और फिर भी कहता है, ‘नहीं महाराज! कहां सोता हूं!’ इस बार संत ने प्रश्न किया, ‘भक्त जीते हो?’ नींद में डूबे व्यक्ति ने सोचा, वही पुराना ही प्रश्न है। अत: उंघते हुए बोला, ‘नहीं महाराज!’ संत ने व्यक्ति के ज्ञान चक्षु खोलते हुए कहा, ‘वत्स, निद्रा में तुमसे सही उत्तर ही निकल गया। जो निद्रा में है वह मृतक तुल्य है। जब तक हम विवेक और प्रज्ञा में नहीं जागते हैं तब तक हम मृतक के ही समान हैं।’
प्रस्तुति : पुष्पेश कुमार पुष्प
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