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एकदा

08:50 AM Dec 27, 2023 IST

एक बार एक व्यक्ति ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस से पूछा, ‘भगवन! संसार के कार्यांे में व्यस्त रहने के उपरांत ईश्वर की आराधना संभव है या नहीं?’ स्वामी जी मुस्कुराये और बोले, ‘तुमने गांव की महिलाओं को चूड़ा बनाते हुए अवश्य देखा होगा। वह अपने एक हाथ से चूड़ा हटाती जाती है और दूसरे हाथ से बच्चे को गोदी में लेकर दूध भी पिलाती है। यदि कोई पड़ोस की महिला या अन्य उस समय उसके पास आ जाता है, तब वह उससे बातें भी करती है। खरीददार आने पर वह उससे हिसाब भी करती है, किंतु उसका काम पूर्ववत चलता रहता है। इन सब कामों के बावजूद उसका ध्यान हर समय ओखली और मूसल में ही रहता है। इसी प्रकार संसार में रहते हुए सभी कामों को करो, किंतु ध्यान ईश्वर में रखो, अन्यथा अनिष्ट हो जाएगा।’ प्रस्तुति : पुष्पेश कुमार पुष्प

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