एकदा
एकदासंकल्प से सफलता
एक दिन कक्षा में अध्यापक ने बच्चों से अंकगणित के कुछ सवाल हल करने के लिए कहा। अब्राहम के पास अंकगणित की पुस्तक नहीं थी। कक्षा खत्म होने के बाद उन्हांेने अपने सहपाठी से कहा, ‘मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।’ सहपाठी हैरानी से बोला, ‘मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं?’ लिंकन मुस्कराते हुए बोले, ‘बस कुछ दिनों के लिए अपनी अंकगणित की पुस्तक घर के लिए उधार दे दो।’ कुछ दिनों बाद अब्राहम ने सही-सलामत पुस्तक लौटा दी। पुस्तक वापस देखकर सहपाठी बोले, ‘रख लो, क्या आगे जरूरत नहीं पड़ेगी।’ अब्राहम बोले, ‘बिल्कुल पड़ेगी मेरे दोस्त। लेकिन अब मेरे पास मेरी भी पुस्तक आ गई है।’ सहपाठी हैरानी से बोला, ‘अच्छा दिखाओ कहां है पुस्तक?’ अब्राहम लिंकन ने झट से कागजों पर नकल की हुई सूई से सिली पुस्तक सहपाठी के आगे कर दी।’ यह देखकर सहपाठी बोला, ‘यह क्या अब्राहम? यह तुमने कब बनाई? इसे बनाने में तुमने दिन-रात एक कर दिया होगा।’ अब्राहम बोले, ‘हां यार, दिन-रात एक तो कर दिया, लेकिन तुमने मुझे इसे उधार देकर अपना ऋणी भी तो बना लिया।’ यह सुनकर सहपाठी बोला, ‘तुम जैसे विद्यार्थी पर एक नहीं अनेक पुस्तकें न्योछावर हैं। आज मैं यह कहता हूं कि आने वाले समय में तुम इतिहास रचोगे।’ प्रस्तुति : रेनू सैनी