एकदा
स्टीफन जे. कनेल पहली और चौथी कक्षा में फेल हो गए। मां स्टीफन को घंटों पढ़ाती लेकिन वह तब भी परीक्षा में फेल हो जाते। स्टीफन को लगता कि वह मूर्ख है। एक दिन मां ने पाया कि उन्हंे डिस्लेक्सिया की समस्या थी। मां स्टीफन से बोली, ‘बेटा, एक बात हमेशा याद रखना कि लगातार मेहनत से हर समस्या दूर हो जाती है। मां की बात सुनकर स्टीफन ने फुटबॉल खेलना आरंभ किया। वह जब भी फुटबॉल पर किक मारते तो स्वयं से कहते, ‘हर समस्या मेरी किक से डर कर भाग रही है।’ अंतर महाविद्यालयी प्रतियोगिता में फुटबॉल के कारण स्टीफन की बहुत प्रशंसा हुई। इसने स्टीफन के आत्मविश्वास को बहुत बढ़ाया। इसके बाद उन्होंने पटकथाएं लिखनी आरंभ कर दीं। उन्हें इस कार्य में सफलताएं मिलती रहीं और एक दिन उन्हांेने अपना प्रोडक्शन स्टूडियो स्थापित कर लिया। स्टीफन अपने व्यवसाय के शिखर पर पहुंच गए। एक दिन ऐसा भी आया जब 2000 लोग उनके नीचे काम कर रहे थे। इतना ही नहीं पटकथा लेखन, निर्माता और निर्देशक के बाद उन्हांेने 11 उपन्यास भी लिखे। ये उपन्यास बेस्टसेलर रहे। स्टीफन जे. कनेल ने अपनी इच्छा शक्ति से यह साबित कर दिया कि हर समस्या पर विजय पाई जा सकती है, बस मन में स्वयं पर विश्वास होना चाहिए। प्रस्तुति : रेनू सैनी