एकदा
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब कभी स्कूली बच्चों को संबोधित करती थीं, तो अक्सर बचपन की एक घटना का ज़िक्र करती थीं। वह कहती थीं, ‘जब मैं बहुत छोटी थी, तब अपने दादा जी, पिता जी और गांधी जी से कहती कि मुझे भी कांग्रेस का सदस्य बनना है।’ वे समझाते कि ‘हमारी संस्था का कायदा है कि कोई बच्चा सदस्य नहीं हो सकता।’ मैं सोच में पड़ जाती कि आखिर हम बच्चे कैसे स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन सकते हैं? वह बताती थी कि तब मैंने एक तरकीब निकाली। रामायण से प्रेरणा लेकर बच्चों की वानर सेना बनाई। अलग-अलग शहरों में उसकी शाखाएं खोलीं। जो बच्चे जरा बड़े थे, वे दफ्तर का काम करते थे, ऐलान करते थे, नोटिस लिखते थे। कुछ जेल जा कर स्वतंत्रता सेनानियों से मुलाक़ात करते थे। ज्यादातर राजनीतिक कैदियों के परिवार मिलने नहीं जा सकते थे। बच्चे एक काम बखूबी करते थे- पुलिस थानों के सामने खेलते थे और आकर हम किशोरों को बताते थे कि आज फलां- फलां गिरफ्तार हुआ है। और आज इन-इन के घरों में तलाशी होगी। इस प्रकार, पहले ही खबर हाथ लगने से आगे की कारगर रणनीति बनना आसान होता था। प्रस्तुति : अमिताभ स.