एकदा
08:55 AM Oct 25, 2023 IST
गोपालकृष्ण गोखले जी से पहली बार देश तथा भारतीय समाज की चर्चा करते हुए सरोजिनी नायडू को महसूस हुआ कि विदेशी संस्कृति के अनुकरण से अपना ही नैतिक पतन होता है। उसके बाद सरोजिनी ने साड़ी को अपना स्थाई और पसंदीदा परिधान बनाया। कुछ समय बाद गोपालकृष्ण गोखले जी से पुनः मुलाकात और चर्चा हुई तो सरोजिनी की कविताओं में भारत के गांव ही शामिल थे। गोखले जी ने जब काफी हैरत से पूछा कि यह बदलाव कैसे, तो सरोजिनी जी ने उनसे कहा कि एक अच्छी पुस्तक कितनी भी पुरानी हो जाए, उसके शब्द नहीं बदलते! भारतीय संस्कृति से जो आपने मुझे परिचित कराया, अब उसी से मेरे अच्छे संबंध की भी यही पहचान है! अब जाकर मैं अपने देश को समझी हूं।
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प्रस्तुति : पूनम पांडे
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