एकदा
प्रेरक जीवन
आंध्र प्रांत बना, तो उसके मुख्यमंत्री टी. प्रकाशम् बनाये गए। तब वे 84 वर्ष के थे। इनका जीवन ही ऐसा था, जिसके चलते उन दिनों उनसे अच्छा प्रामाणिक व्यक्ति दूसरा नहीं था। कुछ दिन मुख्यमंत्री पद संभाल कर अपना प्रिय विषय रचनात्मक कार्य हाथ में लिया और जब तक जीवित रहे उसी काम में लगे रहे। टी. प्रकाशम् ने गरीबी के दिन देखे थे। उनकी माता एक छोटा होटल चलाकर परिवार का पालन करती थीं। टी. प्रकाशम् ने अपने पुरुषार्थ से वकालत पास की और इंग्लैंड से बैरिस्टर बन कर आए। अपनी आय का एक बड़ा भाग पिछड़े लोगों की सहायता में लगाते रहे। स्वतंत्रता आंदोलन में वे अग्रिम पंक्ति के सेनानी थे। उन्होंने दैनिक ‘स्वराज्य’ सफलतापूर्वक चलाया। जेल जाते रहे और उसमें प्राण फूंकते रहे। अपने पारिवारिक निर्वाह के साथ-साथ लोक-सेवा का क्रम चलाते रहने में उन्हें कभी कठिनाई नहीं हुई।
प्रस्तुति : मुकेश ऋषि