एकदा
जिज्ञासा से हासिल
अब्राहम ने एक पादरी के बेटे बेरी के साथ मिलकर व्यवसाय आरंभ किया था। एक दिन एक घोड़ागाड़ी वहां से गुजर रही थी। घोड़ागाड़ी पर सवार यात्री ने घोड़े को अब्राहम की दुकान के समीप रोका। वह अब्राहम की दुकान के अंदर गया और बोला, ‘मैं इस संदूक को बेचना चाहता हूं क्यांेकि मेरे घोड़े ज्यादा सामान के साथ नहीं चल पा रहे हैं।’ अब्राहम ने उस संदूक को खरीद लिया और यात्री को पचास सेंट दे दिए। एक दिन अब्राहम के मन में उत्सुकता जगी आखिर संदूक खोलकर देखा जाए कि उसमें क्या है? अब्राहम ने संदूक को खोला तो उसमें ब्लैकस्टोन की टिप्पणियों का एक पूरा संस्करण मिल गया। किताबों को देखकर अब्राहम की आंखों में नूर आ गया। उन्होंने उन टिप्पणियांे के संस्करण को निकाला और उसे तुरंत पढ़ना आरंभ कर दिया। अब्राहम संदूक में मिले ब्लैकस्टोन के संस्करण को पढ़ने में मशगूल हो गया। जितना वे उसे पढ़ते जाते थे, उतना ही पढ़ने की भूख उनकी बढ़ती जाती थी। उन्होंने अहर्निश इस संस्करण का अध्ययन समाप्त किया। ब्लैकस्टोन की पुस्तक ने उनके अंदर वकील बनने की चाहत उत्पन्न कर दी थी और उन्होंने निर्णय कर लिया था कि वे वकील बनकर रहेंगे। कुछ ही समय बाद उन्होंने नामी वकील बनने के लक्ष्य को पा लिया। प्रस्तुति : रेनू सैनी