मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

एकदा

06:27 AM Aug 15, 2023 IST

अपने जमाने के महान इतिहासकार, स्वाधीनता सेनानी, तेजस्वी पत्रकार तथा ‘कर्मयोगी’ के संपादक पंडित सुंदरलाल द्वारा लिखित ‘भारत में अंग्रेजी राज’ ग्रन्थ को सन‍् 1929 में प्रकाशित होते ही अंग्रेजों ने जब्त कर लिया था। इस ग्रंथ में पंडित जी ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर ढाए गए अमानवीय अत्याचारों का रोमांचकारी वर्णन किया था। सुविख्यात वकील तेजबहादुर सप्रू ने इस ग्रंथ को जब्त किए जाने के विरुद्ध इलाहबाद उच्च न्यायालय में मामला दर्ज किया। अंग्रेज न्यायाधीश ने ग्रंथ का अवलोकन करने के बाद कहा, ‘मिस्टर सुंदरलाल, जिस अंग्रेजी राज ने भारत को विकसित और समृद्ध किया, उसे अत्याचारी लिखते हुए आपको शर्म नहीं आती?’ पंडित सुंदरलाल जी ने उत्तर दिया, ‘श्रीमन, जिन विदेशी अंग्रेजों ने मेरी मातृभूमि को गुलाम बनाया हुआ है, यहां के नागरिकों पर बर्बर अत्याचार किये हैं, उनके कुकृत्यों को दुनिया के सामने रखने के अपने कर्तव्यपालन में मुझे शर्म नहीं गौरव की अनुभूति हो रही है।’ ये शब्द सुनते ही अंग्रेज न्यायाधीश निःशब्द हो गए। प्रस्तुति : डॉ. जयभगवान शर्मा

Advertisement

Advertisement