एकदा
एक प्रोफेसर ने हाथ में पानी से भरा एक गिलास बच्चों को दिखाते हुए पूछा, ‘यह क्या है?’ छात्रों ने उत्तर दिया, ‘गिलास।’ प्रोफेसर ने दोबारा पूछा, ‘इसका वजन कितना होगा?’ उत्तर मिला, ‘लगभग सौ ग्राम।’ फिर पूछा, ‘अगर मैं इसे थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रहूं तो क्या होगा?’ छात्रों ने जवाब दिया, ‘कुछ नहीं।’ ‘अगर मैं इसे एक घंटे पकड़े रहूं तो?’ छात्रों ने उत्तर दिया, ‘आपके हाथ में दर्द होने लगेगा।’ उन्होंने प्रश्न किया, ‘अगर मैं इसे सारा दिन पकड़े रहूं तो क्या होगा?’ तब छात्रों ने कहा, ‘आपकी नसों में तनाव हो जाएगा। नसें संवेदनशून्य हो सकती हैं।’ प्रोफेसर ने कहा, ‘बिल्कुल ठीक। अब यह बताओ क्या इस दौरान इस गिलास के वजन में कोई फर्क आएगा?’ जवाब था कि नहीं। तब प्रोफेसर बोले, ‘यही नियम हमारे जीवन पर भी लागू होता है। यदि हम किसी समस्या को थोड़े समय के लिए अपने दिमाग में रखते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर हम देर तक उसके बारे में सोचेंगे तो वह हमारे दैनिक जीवन पर असर डालने लगेगी। इसलिए सुखी जीवन के लिए आवश्यक है कि समस्याओं का बोझ अपने सिर पर हमेशा नहीं लादे रखना चाहिए।’ प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी