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एकदा

08:47 AM Sep 18, 2024 IST
एकदा
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एक जंगल जैव-विविधता से परिपूर्ण था। जंगल में शेर-बकरी एक घाट में पानी पीते थे। जंगल में उजाले का साम्राज्य था और अंधेरा हारता रहता था। जंगल में जुगनू जैसे कई प्राणी थे जो रोशनी से जानवरों की राह आसान करते थे। मगर जल्दी ही जंगल को बुरी नजर लग गई। एक दूसरे जंगल से एक भयावह विषधर अंधेरे का साम्राज्य चलाने जंगल में आ गया। वह छोटे-बड़े जानवरों को निगल जाता। वहीं रोशनी का दूत जुगनू जंगल में नन्ही रोशनी बिखेरकर विषधर के मंसूबे विफल कर रहा था। वह चमकता रहता और पशु-पक्षियों को विषधर के हमलों से बचाता। यह देखकर विषधर आगबबूला हो गया। वह जुगनू को मारने के लिये भागा, लेकिन जुगनू भागकर पेड़ पर चढ़ जाता है। विषधर मन मसोस कर रह जाता। तभी कांटेदार सेही ने अपने नुकीले तीरों से विषधर पर हमला कर दिया। सेही ने शांतिपूर्वक विषधर से कहा, ‘अंधेरा तुम्हारी समस्या है, जुगनू की नहीं। जुगून अपनी रोशनी से जंगल को रोशन करता रहेगा, चाहे तुम इसे पसंद करो या नहीं।’ सेही ने कहा, ‘विषधर ईर्ष्या और नफरत ही तुम्हारी असली कमजोरी है, न कि जुगनू की रोशनी। यह सुनकर अंधेरे का सारथी विषधर चुपचाप वहां से चला गया। जुगनू ने अपनी रोशनी से जंगल को फिर से रोशन कर दिया। प्रस्तुति : डॉ. मधुसूदन शर्मा
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