मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

जीत पर मां निर्मला बोलीं- भगवान ऐसा बेटा सब को दे

07:34 AM Sep 04, 2024 IST
सोनीपत के गांव खेवड़ा में सुमित (बाएं) की जीत के बाद मां निर्मला देवी को मिठाई खिलाती उनकी मौसी सरोज। साथ हैं अन्य परिजन। -हप्र

हरेंद्र रापड़िया/ हप्र
सोनीपत, 3 सितंबर
टोक्यो पैरालंपिक में सफलता के झंडे गाड़ने के बाद पेरिस पैरालंपिक खेलों में सोनीपत के पैरा भालाफेंक खिलाड़ी सुमित आंतिल ने लगातार दूसरी बार गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इतना ही नहीं, उन्होंने अपना पिछला पैरालंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। उनकी स्वर्णिम सफलता से उनके परिवार व गांव में खुशी का माहौल है। उनकी मां व परिवार वाले कहते नहीं थकते कि भगवान ऐसा कामयाब बेटा सब को दे।
पेरिस पैरालंपिक में भारतीय दल के ध्वजवाहक व विश्व रिकॉर्ड होल्डर सुमित आंतिल पर सबकी निगाहें टिकीं थी। सोमवार देर रात सुमित ने एफ 64 श्रेणी में अपने पहले ही थ्रो में पिछला पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़ दिया। दूसरे थ्रो में एक बार फिर पैरालंपिक रिकॉर्ड को ध्वस्त कर धाक जमा दी। टोक्यो पैरालंपिक खेलों 68.55 मीटर जेवलिन थ्रो कर सुमित ने गोल्ड मेडल जीता था। इस बार उसमें सुधार करते हुए 70.59 मीटर थ्रो के साथ लगातार दूसरी बार पैरालंपिक खेलों का गोल्ड देश की झोली में डाल दिया। हालांकि, वह हांगझोऊ एशियाई खेलों में 73.29 मीटर जेवलिन थ्रो कर बनाए अपने विश्व रिकॉर्ड के पास नहीं पहुंच पाए।
सुमित के गोल्ड मेडल जीतते ही गांव खेवड़ा में उनके घर पर काफी संख्या मुकाबला देख रहे परिजन और ग्रामीण खुशी से उछल पड़े। सुमित की मां निर्मला देवी को उनकी मौसी सरोज ने मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया।
कभी निराश नहीं हुए : मां निर्मला देवी ने बताया कि हादसे के बाद उनका परिवार लगभग टूट गया था, लेकिन सुमित कभी निराश नहीं हुआ। साथियों से प्ररेणा पाकर एक बार फिर खेल के मैदान में पहुंचा और कोच विरेंद्र धनखड़ के मार्गदर्शन में आगे बढ़ा। उसके बाद दिल्ली में द्रोणाचार्य अवार्डी कोच नवल सिंह से जेवलिन की गुर सीखे। आज उनकी मेहनत का परिणाम सबके सामने है।

Advertisement

सड़क हादसे में पैर खोया, जज्बा नहीं

सुमित स्कूल में पढ़ाई के दौरान भारतीय खेल प्राधिकरण बहालगढ़, सोनीपत में कुश्ती सीखते थे। 2015 में अभ्यास के दौरान घर लौटते समय ट्रैक्टर की चपेट में आकर एक पैर गंवा बैठे। करीब दो साल तक मैदान से दूर रहे। ठीक होने के बाद दोबारा मैदान में उतरे, मगर इस बार कुश्ती के बजाय उन्होंने पैरा श्रेणी में जेवलिन थ्रो को चुना।

मीठे से की तौबा, दो महीने में 12 किलो वजन कम किया

पेरिस (एजेंसी) : पीठ की चोट से जूझ रहे सुमित आंतिल के पेरिस पैरालंपिक स्वर्ण के पीछे बलिदानों की लंबी दास्तां है। पैरालंपिक से पहले तेजी से वजन बढ़ने के जोखिम के कारण सुमित को अपनी पसंदीदा मिठाइयों से परहेज करना पड़ा। पिछले साल हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में कमर में लगी चोट उन्हें परेशान कर रही थी। फिजियो की सलाह पर सुमित ने मिठाई खाना छोड़ दिया और कड़ी डाइटिंग पर थे। उन्होंने दो महीने में 12 किलो वजन कम किया। सुमित ने कहा, ‘मैने सही खुराक लेने पर फोकस रखा।’ सुमित ने कहा, मैं पूरी तरह से फिट नहीं था। मुझे अपने थ्रो से पहले पेनकिलर लेनी पड़ी। सबसे पहले मुझे कमर का इलाज कराना है। मैं सही तरह से आराम भी नहीं कर सका हूं। मैने बहुत संभलकर खेला ताकि चोट बड़ी ना हो जाये। सुमित ने कहा कि लोगों की अपेक्षाओं से उनकी रातों की नींद उड़ गई थी, ‘पिछली तीन रातों से मैं सोया नहीं हूं। लोगों की अपेक्षाओं को देखकर मैं नर्वस था।

Advertisement

Advertisement