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ओमीक्रोन और हमारी जिम्मेदारी

12:31 PM Dec 20, 2021 IST
ओमीक्रोन और हमारी जिम्मेदारी
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पहले रोकथाम

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ओमीक्रोन पहले वायरसों से अधिक संक्रामक है। अगर हम कोढ़, पोलियो, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, सार्स जैसी बीमारियों को देखें तो इन सबकी औषधियां आज उपलब्ध हैं और जब तक उपलब्ध नहीं थी तब हम इन बीमारियों से बचाव के साधन प्रयोग में ला रहे थे। आज भी वही स्थिति हमारे सामने है। वैक्सीन लेने के बाद लापरवाह होना, कोरोना को हम पर हमला करने का मौका देने जैसा है। इलाज से रोकथाम ज्यादा बेहतर है। युवा और वयस्कों के टीकाकरण के साथ बच्चों के टीकाकरण का मार्ग भी प्रशस्त होना चाहिए।

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योगिता शर्मा, सुधोवाला, देहरादून, उत्तराखंड

सचेतक जीवनशैली

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ओमीक्रोन भले ही खतरनाक न हो लेकिन मानव को परेशान करने की पर्याप्त क्षमता तो रखता ही है। इसलिए सतर्कता जरूरी है। देश के बाहर की यात्रा आवश्यक न होने पर टालना जरूरी है। अपने आसपास टीकाकरण को शत-प्रतिशत कराने हेतु जागरूकता पैदा करना हमारी जिम्मेदारी है। ओमीक्रोन के लक्षण मिलने पर जांच से गुजरना तथा चिकित्सकीय परामर्श के साथ एकांतवास में रहना नैतिक आवश्यकता है। व्यक्तिगत स्वच्छता को अपनाना आवश्यक है। कुछ महीने सावधानी रखने की विशेष जरूरत है। वहीं अपने उद्योग-धंधे पर सतर्कता अपनाते हुए कार्य करें।

प्रदीप गौतम सुमन, रीवा, म.प्र.

जान और जहान

सरकारी प्रयासों तथा लोगों द्वारा आवश्यक सावधानियों के बावजूद अब नये ओमीक्रोन ने तीसरी लहर के रूप में दस्तक दे दी है। इससे बचने के लिए जहां सरकार को और ज्यादा प्रबंध करने चाहिए वहां लोगों को मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना, बार-बार साबुन से हाथ साफ करना, कोरोना के दोनों इंजेक्शन लगवाना, वरिष्ठ नागरिकों तथा गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को बूस्टर डोज लगवाना, छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखना तथा हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों को अलग-थलग करना आदि कुछ उपाय हो सकते हैं। देश एक और लॉकडाउन बर्दाश्त नहीं कर सकता।

शामलाल कौशल, रोहतक

तैयारी करें

कोरोना वायरस के नये वेरिएंट ओमीक्रोन की दस्तक ने डेल्टा की तरह चौंका दिया है। डेल्टा की तरह ओमीक्रोन भी उस समय आया जब देश में हालात सामान्य होते जा रहे हैं। सरकार को विदेशों से आने वाले यात्रियों पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए। शहरी और ग्रामीण अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं विशेष रूप से ऑक्सीजन का पूरा प्रबंध करना चाहिए। भविष्य में किसी चीज की कालाबाजारी न हो, उसके प्रबंध अभी से किए जाने चाहिए। लेकिन सबसे पहले जन जागरूकता बहुत जरूरी है। सावधानी ही कोरोना से सबसे बड़ा बचाव है।

सुचिता गौड़, कैथल

सख्ती जरूरी

स्वास्थ्य कर्मियों की एकजुटता, सरकारी प्रयास, लॉकडाउन को झेलने में जन-जन का सहयोग के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी थी कि ओमीक्रोन ने तीसरी लहर के रूप में तहलका मचाना प्रारंभ कर दिया। लोगों को सावधानी के साथ मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंस का अनुपालन, साबुन से हाथों की सफाई व कोरोना की डोज लगवाने, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचाव एवं बच्चों के प्रति विशेष सावधानी रखनी होगी। हमें पहले आई कोराेना चुनौतियों से मुकाबले के सबक लेकर उठाये गये कदमों का सख्ती से पालन करना होगा।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

कोताही न बरतें

आज ओमीक्रोन से निपटने की कठिन चुनौती हमारे समक्ष मौजूद है। इसके संक्रमण से बचने के लिए प्राथमिक तौर पर मास्क का प्रयोग, शारीरिक दूरी, सैनिटाइजर का प्रयोग एवं आवश्यक कार्य होने पर ही घर से बाहर निकलने के नियमों को फिर से अपनाया जाना चाहिए। विदेशों से आने वाले लोगों के साथ कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार कड़ाई से सख्त व्यवहार होना चाहिए। सरकार को देश के सभी हवाई अड्डों पर कोरोना के टेस्ट की व्यवस्था आवश्यक करनी चाहिए। हॉस्पिटलों को अपडेट करना भी आवश्यक है। वैक्सीन के दोनों डोज़ लगवाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए।

ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

पुरस्कृत पत्र

जनक्रांति हो

ओमीक्रोन की चुनौती आते ही कोरोना की तीसरी लहर की आशंका दिख रही है, जिससे सजग रहना जरूरी हो गया है। यह महामारी एक ऐसी चुनौती हो गई है, जिससे निपटने के लिए केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं बल्कि पूरे समाज को आगे आना होगा। कोरोना के विरुद्ध आज जनक्रांति की आवश्यकता है। देश का प्रत्येक व्यक्ति सचेत रहे और औरों को भी जाग्रत करे। कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन करें। यह मानना होगा कि यह न तो असाध्य है न ही स्थाई, मगर जागरूकता बहुत जरूरी है। हम सबको मिलकर काम करना होगा।

श्रीमती केरा सिंह, नरवाना

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