Om Birla vs K Suresh: लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए ओम बिरला व के सुरेश के बीच मुकाबला
नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा)
Om Birla vs K Suresh: लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच मंगलवार को आम-सहमति नहीं बन सकी और अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार तथा भाजपा सांसद ओम बिरला का मुकाबला कांग्रेस के कोडिकुन्नील सुरेश के साथ होगा।
लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान बुधवार को होगा। बिरला और सुरेश ने मंगलवार को क्रमश: राजग और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (‘इंडिया') के उम्मीदवारों के रूप में अपने नामांकन पत्र दाखिल किए।
पिछली लोकसभा में भी अध्यक्ष रह चुके बिरला को राजग की तरफ से सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाया गया है। यदि वह बुधवार को हुए मतदान में जीत जाते हैं तो 25 साल में इस पद पर दोबारा आसीन होने वाले पहले व्यक्ति होंगे।
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि बिरला का नाम राजग के सभी दलों ने सर्वसम्मति से तय किया और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह भी समर्थन हासिल करने के लिए विपक्ष के पास पहुंचे।
बिरला ने नामांकन दाखिल करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। वह राजस्थान के कोटा से लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए ललन सिंह ने कहा कि वे लोकसभा उपाध्यक्ष के पद पर तुरंत फैसला चाहते हैं, जबकि राजनाथ सिंह ने अनुरोध किया था कि चयन का समय आने पर सभी को एक साथ बैठना चाहिए और इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार के नाम पर सर्व सम्मति होती तो बेहतर होता। उन्होंने इस संबंध में शर्तें रखने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को शर्तों पर नहीं चलाया जा सकता। सहमति नहीं बनने के बाद विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस नेता सुरेश को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नेता एन के प्रेमचंद्रन ने बताया कि सुरेश ने नामांकन दाखिल किया है। कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और द्रमुक नेता टी आर बालू लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए राजग उम्मीदवार का समर्थन करने से इनकार करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से बाहर आ गए।
वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की प्रतिबद्धता नहीं जताई। इससे पहले, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिए जाने की परंपरा रही है और यदि मोदी सरकार इस परंपरा का पालन करती है तो पूरा विपक्ष सदन के अध्यक्ष के चुनाव में सरकार का समर्थन करेगा।
उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताताओं से बातचीत में यह भी कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फोन किया था और फिर से फोन करने की बात की थी, लेकिन अब तक उनका फोन नहीं आया।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री विपक्ष से रचनात्मक सहयोग की उम्मीद करते हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता का अपमान किया जा रहा है। केरल से आठवीं बार लोकसभा पहुंचे सुरेश ने कहा कि यह हारने या जीतने का विषय नहीं है, बल्कि बात इस परंपरा की है कि लोकसभा अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल का होगा और उपाध्यक्ष विपक्ष का रहेगा।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछली दो लोकसभाओं में उन्होंने उपाध्यक्ष पद हमें नहीं दिया और कहा कि आपको विपक्ष के रूप में मान्यता नहीं मिली है। अब हमें विपक्ष के रूप में मान्यता मिली है तो उपाध्यक्ष पद पर हमारा अधिकार है। लेकिन वे हमें इस पद को देने को तैयार नहीं हैं।
हमने आज पूर्वाह्न 11.50 बजे तक सरकार के जवाब का इंतजार किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।'' कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के सहमति से काम करने के आह्वान के मात्र 24 घंटे के अंदर सरकार का यह रुख देखने को मिला है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर परंपराओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया।