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हे भगवान... मरीज किसके सहारे !

08:07 AM Oct 15, 2024 IST
पीजीआई चंडीगढ़ के कांट्रेक्ट कर्मचारी सोमवार को निदेशक कार्यालय के पास विरोध प्रदर्शन करते हुए। तस्वीरों में बेबस मरीज और उनके परिजन। (फोटो 1, 2, 3) -ट्रिब्यून फोटो

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 14 अक्तूबर
पिछले पांच दिनों से पीजीआई में कांट्रेक्ट कर्मियों की हड़ताल के चलते मरीज बिना इलाज लौटने को मजबूर हैं। मरीजों के लिए पीजीआई के दरवाजे बंद होने लगे हैं। यहां आने वाले हजारों मरीज पूछ रहे हैं कि यह तो पीजीआई प्रशासन और कर्मचारियों के बीच का मामला है, इसमें उन्हें क्यों घसीटा जा रहा है। उनका क्या कसूर है कि उन्हें इलाज नहीं मिल रहा? इधर, बंगाल प्रकरण को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल में शामिल होंगे। रेजिडेंट डॉक्टर 15 अक्तूबर से आपातकालीन सेवाएं रोकने की तैयारी कर रहे हैं। आपातकालीन सेवाओं में अभी तक मरीजों को वापस लौटाया जा रहा है।


पीजीआई चंडीगढ़ में करीब सात प्रदेशों हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड, यूपी, चंडीगढ़ एवं जम्मू एवं कश्मीर के लोग बीमारी से ठीक होने की आस में आते हैं, लेकिन अब यहां स्थिति काफी गंभीर हो गई है। यह हड़ताल न केवल चिकित्सा सेवाओं को ठप कर रही है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गई है, जो इस अस्पताल में अपने इलाज की अंतिम उम्मीद लेकर आए थे। जिन लोगों ने देशभर से अपने इलाज के लिए पीजीआई का रुख किया था, वे अब हताश और निराश बैठे हैं। कुछ मरीज अपने दर्द से जूझते हुए अस्पताल में इंतजार कर रहे हैं, तो कुछ मजबूर होकर अपने परिवार के साथ बिना इलाज कराए ही वापस लौट रहे हैं। कई बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार मरीज, जिनके लिए समय पर इलाज जीवन और मृत्यु का सवाल है, वे अस्पताल के गेट के बाहर खड़े हैं, सोचते हुए कि क्या उनका मर्ज अब कभी ठीक हो पाएगा। वहीं, एक बुजुर्ग महिला, जिनका पति गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है, निराश स्वर में कहती हैं कि हम यहां बड़ी उम्मीद लेकर आए थे, लेकिन बिना इलाज के लौट रहे हैं। हमें समझ नहीं आता, हम जाएं तो कहां जाएं?
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इसलिये चरमराई व्यवस्था

पीजीआई में कांट्रेक्ट पर काम करने वाले 1600 से अधिक कर्मचारी, जो मुख्य रूप से अटेंडेंट और सफाई कर्मचारी हैं, अपने वेतन में बढ़ोतरी और एरियर की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। उनकी मांगें पूरी न होने के कारण, अस्पताल की व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। हड़ताल की शुरुआत अटेंडेंट्स यूनियन से हुई थी, लेकिन अब सेनिटेशन और किचन स्टाफ भी उनके समर्थन में आ गए हैं। यह सामूहिक हड़ताल अस्पताल के हर कोने में देखी जा सकती है, जहां न सफाई हो रही है और न ही मरीजों की देखभाल। पीजीआई प्रशासन ने हड़ताल के तीसरे दिन कांट्रेक्ट वर्कर यूनियन के प्रधान के खिलाफ केस भी दर्ज कराया, जिससे तनाव और बढ़ गया है।

ओपीडी सेवाओं पर असर

ओपीडी सेवाएं लगभग बंद हो चुकी हैं, जिससे नए मरीजों का पंजीकरण नहीं हो रहा। अंदर जो मरीज भर्ती हैं, उनकी देखभाल भी उचित रूप से नहीं हो पा रही है। अस्पताल में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं और साफ-सफाई की स्थिति भी बिगड़ चुकी है। दवाओं की आपूर्ति और मरीजों के भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकताएं भी प्रभावित हो रही हैं।

पीजीआई का पक्ष

आउटसोर्स कर्मियों की हड़ताल और 15 अक्तूबर को रेजिडेंट डॉक्टरों की संभावित हड़ताल से सेवाओं पर असर पड़ सकता है। डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल ने कहा कि मरीजों की देखभाल सर्वोच्च प्राथमिकता है। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि आपातकालीन, ट्रॉमा और आईसीयू सेवाएं लगातार चालू रहेंगी। ओपीडी सेवाएं 15 अक्तूबर को सुबह 8:00 से 10:00 बजे तक केवल फॉलो-अप मरीजों के लिए उपलब्ध होंगी, जबकि नए मरीजों का पंजीकरण और सर्जरी स्थगित की गई हैं। डिप्टी डायरेक्टर पंकज राय ने कहा कि अस्पताल, स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ समाधान के प्रयास कर रहा है और कर्मचारियों से ड्यूटी पर लौटने की अपील की है।
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