हे भगवान... मरीज किसके सहारे !
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 14 अक्तूबर
पिछले पांच दिनों से पीजीआई में कांट्रेक्ट कर्मियों की हड़ताल के चलते मरीज बिना इलाज लौटने को मजबूर हैं। मरीजों के लिए पीजीआई के दरवाजे बंद होने लगे हैं। यहां आने वाले हजारों मरीज पूछ रहे हैं कि यह तो पीजीआई प्रशासन और कर्मचारियों के बीच का मामला है, इसमें उन्हें क्यों घसीटा जा रहा है। उनका क्या कसूर है कि उन्हें इलाज नहीं मिल रहा? इधर, बंगाल प्रकरण को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल में शामिल होंगे। रेजिडेंट डॉक्टर 15 अक्तूबर से आपातकालीन सेवाएं रोकने की तैयारी कर रहे हैं। आपातकालीन सेवाओं में अभी तक मरीजों को वापस लौटाया जा रहा है।
पीजीआई चंडीगढ़ में करीब सात प्रदेशों हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड, यूपी, चंडीगढ़ एवं जम्मू एवं कश्मीर के लोग बीमारी से ठीक होने की आस में आते हैं, लेकिन अब यहां स्थिति काफी गंभीर हो गई है। यह हड़ताल न केवल चिकित्सा सेवाओं को ठप कर रही है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गई है, जो इस अस्पताल में अपने इलाज की अंतिम उम्मीद लेकर आए थे। जिन लोगों ने देशभर से अपने इलाज के लिए पीजीआई का रुख किया था, वे अब हताश और निराश बैठे हैं। कुछ मरीज अपने दर्द से जूझते हुए अस्पताल में इंतजार कर रहे हैं, तो कुछ मजबूर होकर अपने परिवार के साथ बिना इलाज कराए ही वापस लौट रहे हैं। कई बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार मरीज, जिनके लिए समय पर इलाज जीवन और मृत्यु का सवाल है, वे अस्पताल के गेट के बाहर खड़े हैं, सोचते हुए कि क्या उनका मर्ज अब कभी ठीक हो पाएगा। वहीं, एक बुजुर्ग महिला, जिनका पति गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है, निराश स्वर में कहती हैं कि हम यहां बड़ी उम्मीद लेकर आए थे, लेकिन बिना इलाज के लौट रहे हैं। हमें समझ नहीं आता, हम जाएं तो कहां जाएं?