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अंबाला की 3 प्रमुख कोस मीनारों में से एक गिर चुकी तो दूसरी भी खस्ताहाल

07:47 AM Apr 18, 2024 IST
अंबाला की 3 प्रमुख कोस मीनारों में से एक गिर चुकी तो दूसरी भी खस्ताहाल
अम्बाला शहर के गांव कांवला में पुरातत्व महत्व की गिरी पड़ी कोस मीनार को देखता एक विरासत प्रेमी।-हप्र
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जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 17 अप्रैल
जिला अम्बाला में स्थित 3 कोस मीनारों में से एक के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने जबकि दूसरी के जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंचने को लेकर विरासत प्रेमियों ने रोष व्यक्त किया है। अम्बाला के विरासत प्रेमियों ने इन मीनारों को बचाने के लिए शीघ्र पुरातत्व विभाग को लिखने का निर्णय लिया है। दरअसल, अम्बाला की 3 प्रमुख कोस मीनारों में से एक रेलवे स्टेशन के पास है। उससे ठीक एक कोस पर गांव कांवला के पास दूसरी मीनार है जो अप्रत्याशित रूप से अब गिर चुकी है। इससे अगली मीनार उगाड़ा गांव के पास खेतों में मौजूद है। यद्यपि यह मीनार अभी ठीक खड़ी है परंतु एक ओर से क्षतिग्रस्त होने के कारण कभी भी गिर सकती है।
डॉ. चांद सिंह ने कोस मीनारों पर किए गए अपने शोधपत्र के माध्यम से बताया कि 21 गुना 21 फुट के प्लेटफार्म पर इन मीनारों को प्रत्येक एक कोस (4.3 किलोमीटर) पर शेरशाह सूरी राजमार्ग पर बनाया गया था, जहां यात्री कुछ समय के लिए विश्राम हेतु रुका करते थे। इसके अतिरिक्त पास ही मौजूद एक पुरातन साइट भी है जहां अभी खुदाई होनी शेष है। जानकारी के अनुसार उस स्थान पर बारिश इत्यादि के समय अवशेष निकलते रहते हैं। मालूम हो कि पुरातन इमारतों को बचाने के उद्देश्य से ही हर वर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। इस विशेष दिवस पर आज विरासत प्रेमियों द्वारा अम्बाला की लुप्त होती धरोहरों का अवलोकन किया गया। इस धरोहर यात्रा में प्रमुख रूप से अम्बाला के बाह्य क्षेत्र में आने वाली 2 कोस मीनारों की स्थिति का आकलन किया गया। इनमें से एक मीनार गिर चुकी है जबकि दूसरी मीनार खस्ताहालत में पाई गई। अम्बाला की विरासत यात्रा के इस शिष्टमंडल में अम्बाला, कुरुक्षेत्र से कई शिक्षाविद् और इतिहास शोधार्थी उपस्थित थे। इनमें प्रमुख रूप से डॉ. प्रदीप स्नेही, डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव महाजन, जैन कॉलेज से डॉ. गुरमीत, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉ. धर्मवीर, सोहनलाल कॉलेज से डॉ. नरेंद्र कौशिक के अलावा डॉ. सुरेश ढांडा, डॉ. अतिमुक्त जैन, डॉ. जसमेर सिंह, डॉ. विजेंदर नरवाल, ईश्वरराम, डॉ. हरिंदर, वासुदेव एवं अभिनव गुप्त आदि शामिल थे।

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