सरसों उत्पादन में नूंह जिला दूसरे नंबर पर, 50 फीसदी किसान कर चुके अगेती बिजाई
गुरुग्राम, 16 अक्तूबर (हप्र)
पीला सोना यानी सरसों के उत्पादन में हरियाणा का नूंह जिला राज्य में दूसरे नंबर पर आता है। जिले का किसान अब तक 50 फ़ीसदी रकबे में सरसों की अलग-अलग किस्म की बिजाई कर चुका है। इस फसल में लागत से लेकर सिंचाई कम लगती है और खासकर नगीना तथा फिरोजपुर झिरका खंड के सैकड़ों गांव में सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण साल भर में किसान एक ही फसल ले पाता है। राज्य में बिजाई रकबे के हिसाब से भले ही नूंह जिला चौथे-पांचवें पायदान पर आता हो, लेकिन उत्पादन में यह नारनौल के बाद दूसरे नंबर पर आता है। सरसों की बिजाई को लेकर खास बातचीत की गई वीरेंद्र देव आर्य कृषि उपनिदेशक नूंह से।
कृषि उपनिदेशक वीरेंद्र देव आर्य, नूंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि 32000 हेक्टेयर में सरसों की बिजाई नूंह जिले में की जाती है। एक अक्तूबर से 25 अक्तूबर तक बिजाई की जाती है। 50 फीसदी के आसपास बिजाई हो चुकी है। 25 अक्तूबर तक बिजाई पूरी हो जाएगी।
कृषि उपनिदेशक नूंह ने कहा कि गुणवत्ता की अगर बात की जाए हमारी जमीन में सल्फर की मात्रा अधिक है। तेल व दाल वाली फसलों के लिए यह बेहद उपयोगी है। न केवल दाने का साइज बढ़ता है बल्कि उसकी क्वालिटी भी बढ़ती है और दाने का साइज बढ़ने की वजह से उत्पादन बढ़ता है और तेल भी अधिक निकलता है। हरियाणा में भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़-नारनौल, रेवाड़ी इत्यादि इलाकों में सरसों की फसल मुख्य तौर पर रबी सीजन में ली जाती है।
डीडीए ने बातचीत के दौरान कहा कि सरसों की फसल में ज्यादा खर्चा नहीं आता है। सिंचाई भी कम मात्रा में लगती है। अधिकतर सरसों की फसल बरसात पर आधारित है। यूरिया भी कम डाला जाता है। बिना यूरिया भी सरसों अच्छा परिणाम देती है।