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अब अंट-शंट फिल्में मंजूर नहीं

07:00 AM Aug 24, 2024 IST
अब अंट शंट फिल्में मंजूर नहीं
फोटो : लेखक

असीम चक्रवर्ती
अपने परिचितों के बीच अभिनेता संजय दत्त ‘बाबा’ के नाम से जाने जाते हैं। अब 66 की इस उम्र में उनपर यह नाम सही भी लगता है। कुछेक छोटे-बड़े विवादों में आने के बावजूद संजय दत्त की बॉलीवुड में हमेशा धाक रही है। उनके फिल्म कैरियर में कभी कोई पतझड़ नहीं आया। उनके जोश पर कभी बढ़ती उम्र का प्रभाव नहीं पड़ा। वे निरंतर सक्रिय रहे।

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किसी इमेज में नहीं बंधे

संजय दत्त किसी तरह की इमेज का बोझ नहीं ढोते हैं। कभी निर्देशक राजकुमार हिरानी ने उनके बारे में कहा था कि अपने आपको किसी किरदार के अनुरूप ढालना उन्हें बखूबी आता है। संजय उनके साथ कई फिल्मों में काम कर चुके हैं। हिरानी कहते हैं, ‘अपनी फिल्मों की तरह उसका निजी जीवन दिलचस्प रहा है। उसके जीवन को केंद्रित कर मैंने रणबीर कपूर को लेकर फिल्म संजू बनाई थी,जिसे अच्छा रिस्पांस मिला था।’ असल में अपने हर किरदार को वर्सेटाइल रंग देना उन्हें बखूबी आता है। इन दिनों भी वह ‘केडी- द डेविल’, ‘बाप’ और पंजाबी- तेलुगु की जिन चार-पांच फिल्मों में काम कर रहे हैं,उनमें भी उनका अंदाज बिल्कुल जुदा है। संजय दत्त की शख्सियत के कई पहलू हैं। उनके जीवन में विवादों का अपना अलग स्थान रहा है। उन्होंने अब निजी जीवन को भी वक्त देना शुरू कर दिया है। गत दिनों अपने एक घरेलू इवेंट में उन्हें गिटार बजाते देखा गया। वह कहते हैं,‘ अपनी निजता और पसंद को बनाए रखना बहुत जरूरी है।’

खूब फिल्में की

उन्होंने अपने फिल्मी सफर में 150 से ज्यादा फिल्में की हैं। मगर इनमें विधाता, सड़क, साजन, यलगार, गुमराह, वास्तव,मिशन कश्मीर, एलओसी, मुन्नाबाई एमबीबीएस, शूटआउट एट लोखंडवाला, अग्निपथ, जैसी कुछ फिल्मों की चर्चा होती है। उनके हिस्से में श्रेष्ठ फिल्में कम ही आई। वह बताते हैं, मैं अपने कैरियर के शुरू में अंट-शंट फिल्मों पर कोई अंकुश नहीं लगा पाया। पर अब चूंकि मैं जरा भी ज्यादा फिल्में नहीं करना चाहता हूं। इसलिए अंट-शंट फिल्मों के ऑफर मैं तुरंत छोड़ देता हूं।’

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पापा के कायल हैं संजय

वह कहते हैं,उन्हें अपने परिवार का ही नहीं, प्रशंसकों, दोस्तों का भी प्यार मिला । बोर्डिंग स्कूल के दिनों कई ऐसे बच्चे उनके दोस्त बने, जिनकी संगत में उन्हें हरगिज नहीं आना चाहिए था। दोस्तों के साथ मैं कब नशे का आदी हो गया,पता ही नहीं चला। नौ साल इसमें फंसा रहा। मेरे पिता एकदम मेरे पास खड़े हो गए, जिसके चलते मैं उस स्थिति से बाहर निकल आया।

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