नहीं होगी अब सोलन अस्पताल में ऑक्सीजन की बर्बादी
यशपाल कपूर/ निस
सोलन, 4 अप्रैल
सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल में अब सिलेंडर समेत ऑक्सीजन प्लांट से मरीजों तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की बर्बादी नहीं हो सकेगी। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन की तरफ से एक स्पेशल टीम का गठन कर दिया गया है। यह टीम ऑक्सीजन की बर्बादी पर अपनी नजर रखेगी। इसके अलावा समय-समय पर ऑक्सीजन प्लांट से 200 बैडेड तक पहुंची पाइपलाइन की भी जांच करने के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। यही नहीं निजी प्लांट से भरकर आने वाले सभी ऑक्सीजन सिलेडरों की भी जांच होगी। इसके अलावा जो टीम का गठन किया गया है वह निजी पीएसए प्लांट में भरने वाले ऑक्सीजन सिलेंडरों का औचक निरीक्षण भी करेगी और रिपोर्ट भी बनाई जाएगी। विभाग ने यह कदम ऑक्सीजन की बचत को लेकर उठाया है ताकि मरीजों को ऑक्सीजन की दिक्कत न हो।
जानकारी के अनुसार कोरोना काल में अस्पतालों में आने वाले मरीजों को ऑक्सीजन की अधिक जरूरत पड़ी थी। उस दौरान ऑक्सीजन की खपत भी अधिक हुई थी। ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों में पीएसए प्लांट न होने से सिलेंडरों के जरिए ही आवश्यकता को पूरा किया गया था लेकिन ऑक्सीजन की बर्बादी भी अधिक देखी गई थी। उधर अब ऑक्सीजन की महत्व को देखते हुए क्षेत्रीय अस्पताल को जिला में ऑक्सीजन की बर्बादी रोकने के आदेश जारी किए गए हैं। अब अस्पताल में पीएसए प्लांट भी रोजाना चलाया जा रहा है। 16 से 18 घंटे तक ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। पाइपों को बिछाए 2 वर्ष होने वाले हैं। ऐसे में निरीक्षण करने के लिए कहा गया है। क्षेत्रीय अस्पताल के प्लांट इंचार्ज गौरव ठाकुर की अध्यक्षता में तकनीकी टीम बनाई गई है।
पीएसए प्लांट चलने से सिलेंडरों की घटी खपत
क्षेत्रीय हॉस्पिटल सोलन में 200 बिस्तर पर निर्बाध ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। जिसके बाद से अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडरों की खपत भी कम हुई है। वहीं अब मरीजों के लिए 18 घंटे तक पीएसए प्लांट चलाया जा रहा है। इससे ऑक्सीजन की बर्बादी भी काफी कम हो गई है और मरीजों को ऑक्सीजन की कीमत से भी नहीं जूझना पड़ रहा है।
''सोलन हॉस्पिटल ने ऑक्सीजन की बर्बादी न हो, इसे देखते हुए तकनीकी टीम गठित की है। ऑक्सीजन प्लांट से 18 घंटे ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। प्रत्येक वार्ड में प्लग लगे हैं। समय-समय पर जांच के आदेश भी दिए गए हैं और निरीक्षण की रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया है ताकि समय पर मुरम्मत कार्य भी हो सके।
-डॉ. एसएल वर्मा, चिकित्सा अधीक्षक, क्षेत्रीय अस्पताल सोलन