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लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बंद करने के विधेयक पर अब राष्ट्रपति लेंगी अंतिम फैसला

09:12 AM May 17, 2025 IST
लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बंद करने के विधेयक पर अब राष्ट्रपति लेंगी अंतिम फैसला
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शिमला, 16 मई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश विधानसभा से देश में आपातकाल के समय जेल जाने वालों को दी जाने वाली लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बंद करने से संबंधित पारित विधेयक पर अंतिम फैसला अब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू लेंगी। हिमाचल राजभवन ने इस विधेयक को रेफरेंस के लिए राष्ट्रपति को भेजा है। विधेयक को राष्ट्रपति को भेज राज्यपाल ने उनके पास उपलब्ध विकल्प का इस्तेमाल किया है।
जानकारी के अनुसार विधानसभा से पारित विधेयक को जब भी राज्यपाल को स्वीकृति के लिए भेजा जाता है तो वह उसको अपनी सहमति दे सकते हैं या उसे पुनर्विचार के लिए वापस वापस भेज सकते हैं। उनके पास एक अन्य विकल्प यह भी रहता है कि वह इसे राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज सकते हैं। राज्यपाल ने इस विधेयक को लेकर उसी विकल्प का प्रयोग किया है। अब राष्ट्रपति की तरफ से आने वाले आदेश के अनुसार ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने देश में स्वर्गीय इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के समय लगाए गए आपातकाल के समय जेल जाने वालों को 12 हजार से 20 हजार रुपए लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि देने का निर्णय लिया था जिससे सरकारी कोष पर सालाना करीब 2.63 करोड़ रुपए का बोझ पड़ रहा था। पूर्व भाजपा सरकार का दावा था कि ऐसे लोगों ने आपातकाल के समय 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक लोकतंत्र के अस्तित्व को बचाने तथा जनता के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए पुलिस की यातना सही और जेल गए। इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने इस राशि को बंद करने संबंधी विधेयक विधानसभा से पारित करके इसे स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा था।
आपातकाल के दौरान जेल में जाने वाले प्रमुख नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ राधारमण शास्त्री, पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज व महेंद्र नाथ सोफ्त व पूर्व मंत्री स्व.श्यामा शर्मा शामिल हैं। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ राधारमण शास्त्री और पूर्व मंत्री स्वर्गीय श्यामा शर्मा मीसा के तहत जेल में रहे। इसके अलावा डिफेंस ऑॅफ इंडिया रुल के तहत भी सैकड़ों लोग जेल में रहे थे। हिमाचल प्रदेश में इस राशि को पाने वालों की संख्या 80 के करीब थी।

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