अब शिक्षा का मकसद रोजगार पाना ही नहीं, देना भी होना चाहिए : स्वाति बसोत्रा

अम्बाला, 13 सितंबर (हप्र)
स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा को और अधिक प्रभावी कैसे बनाया जाए, इसके लिए ‘द ट्रिब्यून ट्रस्ट’ एवं चितकारा यूनिवर्सिटी की ओर से अम्बाला शहर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में अम्बाला तथा यमुनानगर के स्कूलों के प्राचार्यों ने भाग लिया। इस मौके पर सभी प्राचार्यों को संबोधित करते हुए शिक्षाविद स्वाति बसोत्रा ने कहा कि आज शिक्षा का मकसद केवल रोजगार पाना नही, बल्कि रोजगार देना भी होना चाहिए।
उन्होंने प्राचार्य को बताया कि उन्हें विद्यार्थियों के किन-किन हितों का ध्यान रखना है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान शिक्षा का जो स्तर रहा, वह शिक्षा के क्षेत्र में निसंदेह चिंतनीय है। लेकिन आपदा के इस काल में भी शिक्षकों ने ऑनलाइन पैटर्न पर बच्चों को शिक्षित करने का काम किया है। उन्होंने आह्वान किया कि शिक्षकों को छात्रों के आसपास का माहौल भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के लिए अच्छा वातावरण मिले इसकी जिम्मेवारी शिक्षकों के साथ-साथ उनके परिजनों की भी बनती है। उन्होंने कहा कि आज बच्चों को शिक्षा की तोता पद्धति से बचाने की जरूरत है, क्योंकि अब बात परिणाम की नही विद्यार्थियों में स्किल डेवलप करनी की है। वह तभी होगा जब शिक्षक इस बात की गहराई को समझेंगे।
स्वाति ने कहा की वर्तमान समय में टीचर को भी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, क्योंकि इस क्षेत्र में जो बदलाव आ रहे हैं, वे तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक टीचर अपनी जिम्मेवारी नही समझेंगे। उन्होंने कहा की टीचर होना एक पैशन है, न की पैसा कमाना। इस कार्यशाला में प्राचार्य नीलम शर्मा अम्बाला शहर, प्राचार्य मोनिका शर्मा यमुनानगर, प्राचार्य सीमा कटारिया यमुनानगर, प्राचार्य चित्रा आनंद अम्बाला शहर, प्राचार्य रुचि शर्मा अंबाला छावनी, निशिता दुआ सद्दोपुर अम्बाला शहर, अनूप चोपड़ा जगाधरी, आरपी राठी नारायणगढ़ व शालिनी कपूर इस्माईलाबाद मौजूद रहे। द ट्रिब्यून ट्रस्ट की आेर से सर्कुलेशन हेड (सेल्स) मुकेश कलकोटी ने सभी का स्वागत किया। चितकारा यूनिवर्सिटी की और से प्रति चौधरी ने सभी प्राचार्याें का स्वागत किया। उन्होंने बताया की उनके संस्थान का मकसद शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता व उसे रोजगार परक बनाने का है।
पूरी क्लास करे टॉप
स्वाति ने कहा कि शिक्षा के वर्तमान दौर में हमें क्लास रूम से टॉप फाइव का फार्मूला नहीं अपनाना, बल्कि हमें तो पूरे क्लासरूम को ही टॉप पर लेकर जाना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षकों का बच्चों के साथ इमोशनल लगाव होना जरूरी है, क्योंकि जब तक बच्चों और शिक्षकों के बीच में इस प्रकार का तालमेल नहीं होगा तब तक बच्चे ही शिक्षा की जरूरत को समझ नहीं सकेंगे।