आओ अब जरा सांस लें और खांस लें
सहीराम
दिवाली मना ली जी! उम्मीद है अच्छी मनी होगी। नहीं मिठाई की बात नहीं करेंगे। आपको क्या लगता है कि मिठाई की बात करेंगे तो फिर मिलावट की बात होगी। नहीं। मिलावट तो अब राष्ट्रीय चरित्र है, उसकी क्या बात करनी। लेकिन मिठाई की बात करेंगे तो फिर महंगाई की बात हो जाएगी। मतलब बात निकलेगी तो दूर तलक तो पता नहीं कितनी जाएगी, पर सब्जी मंडी तक जरूर पहंुच जाएगी, जहां हर सब्जी शतक बनाने पर आमादा है। अच्छी बात यह है कि वे हमारी क्रिकेट टीम को शर्मिंदा करने के लिए धड़ाधड़ शतक नहीं बना रही हैं। फिर क्या वे आपकी औकात दिखाने के लिए शतक बना रही हैं। नहीं, ऐसी तो कल्पना भी नहीं करनी चाहिए।
तो फिर महंगाई की बात ही क्यों करनी यार। ऐसी बातें सरकार को तो छोड़ो आपको भी रास नहीं आएंगी। महंगाई की बात पहले सरकार को रास नहीं आती थी, अब आपको नहीं आती। सरकार और जनता का यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ही इस दौर का कुल जमा हासिल है। खैर, सारी मनाही के बावजूद पटाखे भी फोड़े ही होंगे और अपनी इस जिद में ही फोड़े होंगे कि हमारे त्योहार पर हमें मना करने वाला कोई कौन होता है। हम क्या अपना त्योहार भी न मनाएं। दूसरों को तो कोई नहीं रोकता। बस सबका जोर हमीं पर चलता है। लेकिन हम किसी से क्यों दबें। इसलिए चलो पटाखे फोड़ें। तो फोड़े होंगे। सो आइए, अब अपने खिड़की-दरवाजे बंद कर लें और जरा सांस लें और थोड़ा खांस लें।
दिवाली अब दीयों का त्योहार कहां रह गया जी! रोशनी के लिए वह लड़ियों का त्योहार हो गया और खुशी के इज़हार के लिए वह पटाखों के शोर का त्योहार हो गया। लेकिन पता नहीं जी, इस बार चीनी लड़ियों के बहिष्कार का आह्वान क्यों नहीं हुआ। लोग तो कह रहे हैं पटाखे भी चाइनीज ही आ रहे हैं। वैसे तो लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां भी चाइनीज ही आ रही हैं। कहीं हमारे बहिष्कार वीर थक तो नहीं लिए। अगर ऐसा हुआ तो यह अच्छा नहीं हुआ। पर जी, बात यह है कि बहिष्कार भी करें तो आखिर चीन के किस-किस माल का करें। यहां तो मोबाइल से लेकर चौराहों पर बिकने वाला तिरंगा तक चीन से आ रहा है।
लेकिन प्रदूषण के लिए इस बार किसानों को भी कम ही दोषी ठहराया जा रहा है। वरना पटाखों के शोर से पहले तो पराली जलाने का हाहाकार मच चुका होता था। शोर तो बेशक इस बार भी है, पर हाहाकार नहीं है। और पंजाब के किसानों को तो इसके लिए फिर भी दोषी ठहराया जा रहा है, लेकिन हरियाणा वालों को बख्श दिया गया है। देखो जी, चुनाव परिणामों का बड़ा फर्क पड़ता है। खैर जी, अच्छी बात यह है कि दिवाली आपकी अच्छी मनी।