पीयू मेें अब पढ़ाई और महंगी, फीसों में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी!
जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 जुलाई
पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट ने सभी तरह के अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट और प्रोफेशनल कोर्सों के लिये फीसों में बढ़ोतरी को हरी झंडी दे दी है। ट्रेडीशनल कोर्सो में पिछले कई साल से फीस न बढ़ाये जाने का तर्क देते हुए सीनेट ने इस बार फीसों में 10 फीसदी बढ़ोतरी कर दी जो कम से कम 200 रुपये होगी और अधिकतम 1000 रुपये होगी। प्रोफेशनल व सेल्फ फाइनांस कोर्स में यह बढ़ोतरी 7500 रुपये तक है। पीयू में अब आवेदन करने से लेकर एंट्रेस एग्जाम, परीक्षा फीस, री-इवेल्यूएशन, री-चेकिंग, डीएमसी री-इश्यू आदि सभी के लिये पहले के मुकाबले 10 प्रतिशत ज्यादा पैसे देने होंगे।
कुलपति समर्थक सीनियर सीनेटर सत्य पाल जैन, रविंदर धालीवाल उर्फ बिल्ला, सिमरजीत सिंह ढिल्लों, आरएस झांजी, केके शर्मा और संदीप सीकरी ने फीसों में बढ़ोतरी का विरोध किया। जैन ने कहा कि गरीब व्यक्ति इतने पैसे कहां से देगा, जिसे पहले ही रोटी जुटाने के लाले पड़े हुए हैं। दूसरी ओर, सविता गुप्ता, योजना रावत, प्रवीण गोयल, प्रशांत गौतम और सुखबीर कौर ने इसका समर्थन करते हुए कुलपति की शान में कसीदे पढ़े। सबसे हैरत वाली बात ये रही कि गोयल ग्रुप या तो चुप रहा या फिर एक योजना के तहत एकाध सदस्य ने ‘हां’ में ‘हां’ मिला दी। कई सीनेटर तो सदन में अपने पद की गरिमा भी नहीं रख पा रहे। सीनेट/सिंडिकेट में अपनी नियुक्ति के लिये अब तक कुलपति का आभार जता रहे हैं। एजेंडा में लायी गयी आइटमों में क्या सही है और क्या गलत है, इससे ज्यादा फेलो इसे तवज्जो देते रहे कि उनके खेमे की ओर से क्या कहा जा रहा है। ऑनलाइन मीटिंग होने के कारण जहां कहीं कोई बात अच्छी नहीं लगी तो फिर किसी और को बोलने के लिये कह दिया गया। बैठक में यूसोल से होने वाली एमबीए (एग्जिक्यूटिव) का नाम बदल कर एमएबीए कर दिया गया है। संस्कृत विभाग में दाखिले के लिये सीटें घटाकर 68 से 40 कर दी गयी हैं।
Bविरोध-प्रदर्शन का स्थान बदलाB
इसी तरह सीनेट ने छात्रों, रिसर्च स्कॉलरों, नॉन-टीचर्स और टीचर्स के धरने-प्रदर्शन के लिये अब स्थल बदल दिया है। किसी को भी अगर कोई विरोध-प्रदर्शन करना है तो उसे हेल्थ सेंटर/चौकी के साथ लगते मैदान में ही ऐसा करना होगा। कुलपति कार्यालय, एडम ब्लॉक या किसी अन्य स्थान पर अब कोई विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकेगा।
Bएसएफएस ने किया फीस बढ़ाने का विरोधB
एसएफएस ने फीस वृद्धि का विरोध किया है। उनका कहना है कि पहले से ही अभिभावक कोरोना और बेरोजगारी से पीड़ित हैं, ऐसे में भारी भरकम बढ़ोतरी करना एक गलत कदम है। उन्होंने शिक्षा के बाजारीकरण का विरोध करते हुए एग्जाम फीस व अन्य शुल्कों में की गई बढ़ोतरी को तुरंत वापस लेने को कहा है और साथ ही एक आंदोलन चलाने की भी धमकी है। वामपंथी छात्र संगठन ने धरनास्थल बदलने पर भी कड़ी आपत्ति जतायी। एसएफएस ने छह विभागों के मर्जर पर भी कड़ी आपत्ति जतायी है। इसी तरह से रिसर्च स्क़ॉलरों को हॉस्टल देने की बात कही और साथ ही उन सभी स्कॉलरों को गोल्डन चांस देने की मांग की जो किसी कारणवश समय पर अपना शोध कार्य पूरा नहीं कर पाये।