अब तो झूठ का धंधा हो गई पॉलिटिक्स
आलोक पुराणिक
टीवी चैनलों की आफत है रोज नये बवाल कहां से लायें। और बवाल खुद ब खुद चल कर आ जायें, तो उन्हे लंबे वक्त तक टिकाकर रखना बहुत मुश्किल काम है। यूक्रेन युद्ध को चले दो साल हो लिये। अब सिर्फ एकाध चैनल है जो यूक्रेन की कवरेज दिखाता है। यूक्रेन के युद्ध से पब्लिक बोर होने लगी कि गाजापट्टी का युद्ध आ गया। युद्ध खौफनाक होता है, सबके लिए नहीं। हथियार बेचने वाले और टीवी चैनलों पर टीआरपी बेचने वालों की फुल मौज का वक्त ही होता है युद्ध।
यूक्रेन के बाद गाजापट्टी युद्ध को भी अब करीब छह महीने होने वाले हैं। आतंकी संगठन हमास मान नहीं रहा है, इस्राइल तो बिलकुल नहीं मान रहा है। हमास का हाल उस कुत्ते जैसा हो गया है, जिसने अपनी ताकत की गलतफहमी के चलते शेर की पूंछ मरोड़ दी। अब कुत्ते को ही मरोड़ा जा रहा है। अब इस्राइल नहीं छोड़ रहा, कह रहा है कि अब हमास को पूरा ही मरोड़ देंगे। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मारकाट करने से पहले अपनी असली ताकत आंक लेनी चाहिए।
पिटाई का एडवांस्ड संस्करण है-तुड़ाई, अब हमास की तुड़ाई हो रही है और कोई भी नहीं बचा पा रहा है। कोई नहीं बचाता है दरअसल, सबको अपने हित बचाने होते हैं। बचने की तैयारी पहले करके ही झगड़ा करना अक्लमंदी होती है। आतंकी संगठन और आतंकी देश इस तरह की अक्लमंदी रखते तो वो आतंकी क्यों होते। अब हमास के साथ एक ऐसा देश है, जो खुद आतंकी भी है और भिखारी-पाकिस्तान हमास के साथ है। पर पाकिस्तान के साथ कोई नहीं है।
वक्त किसी का भी भौकाल, असर कम कर देता है। एक वक्त था जब आंध्रप्रदेश के नेता चंद्रबाबू नायडू भाजपा के खिलाफ बोलते थे और खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे। अब भाजपा के करीब हैं। पुरानी बातों को भूलना बहुत जरूरी है, वरना बंदा पॉलिटिक्स नहीं कर सकता। जिसको कल कोसा है, उसे आज अपना खास बताना होता है। पॉलिटिक्स का धंधा बहुत डेंजरस है। कुल मिलाकर पॉलिटिक्स झूठ का धंधा हो लिया है।
अब नीतीश कुमार ने कह दिया है कि वह वापस लौटकर नहीं जायेंगे, यह बात अगर तीन बार औऱ बोल दें, तो समझिये कि वापस जाने वाले हैं। कोई बंदा अगर बहुत ज्यादा सच बोलने की कोशिश करता दिखे, तो समझ लेना चाहिए कि कतई झूठ बोल रहा है।