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चलिए अब तो अशुद्ध ही शुद्ध मानिए

08:22 AM Feb 28, 2024 IST

अशोक गौतम

कल ऑफिस में जरा-सी फुर्सत मिली तो याद आया कि पगले तू तो जन-सेवा में इतना लीन हो गया कि बीपी की गोली खाना ही भूल गया! ये कम्बख्त रिश्वत की भूख मेरे जैसे साधारण जीव को भी क्या-क्या लेना भुला देती है? तब वह यह भी भूल जाता है कि जान है तो बेईमान है।
तब मेरे सामने पड़े बंदे को अपनी जेब बंद रखने को कह मैं अपनी जेब से बीपी की गोली निकाल बिन पानी ही मुंह में डालने को हुआ कि मेरे क्लाइंट को पीछे धकेलते मेरे प्रभु मेरे आगे। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ते मुझ पर बिगड़ते पूछा, ‘रे मेरे प्यारे! ये क्या कर रहे हो?’
‘जनहित में बीपी की गोली ले रहा हूं। भूल गया था। आजकल ऑफिस में खाने का प्रेशर इतना बढ़ता जा रहा है कि... अब जनता है तो उसकी सेवा तो करनी ही पड़ेगी न! मैं ऑफिस आता क्यों हूं? तुम जनता की सेवा करने वाले ऐसे पद अपने भक्तों को बड़े नसीब से देते हो। अब तो रात को सोए-सोए भी रिश्वत क्रीड़ा कम होने का नाम नहीं ले रही प्रभु!’
‘अखबार में पढ़ा नहीं कि इस बीपी की दवा का सैंपल फेल हो गया है। इसे खाओगे तो कुछ भी हो सकता है।’
‘अखबार तो पता नहीं क्या-क्या छापते रहते हैं प्रभु! छापना उनका काम है। छोड़ो प्रभु! सच पूछो तो हम जैसों को अब वही चीजें सूट करती हैं जिनके सैंपल फेल हो चुके हों। देखते नहीं, अखबारों में रोज दूध से लेकर दही तक के सैंपल फेल चल रहे हैं। पर हम आपको भी भोग में पूरे उत्साह से उन्हें ही लगा रहे हैं और अपनी रीढ़ मजबूत करने के लिए खुद भी उन्हें ही पी खा रहे हैं। अपनी रसोई के आटे का सैंपल फेल है। अपनी रसोई की दाल का सैंपल फेल है। अपनी रसोई के नमक का सैंपल फेल है। अपनी रसोई के मसालों का सैंपल फेल है। अपनी रसोई के शुद्ध सरसों के तेल का सैंपल फेल है। अपनी रसोई की चीनी का सैंपल फेल है। अपनी रसोई के चावल का सैंपल फेल है। अपनी रसोई के पानी का सैंपल फेल है।
और तो और अपनी नाक की हवा तक का सैंपल फेल है। ये तो छोड़िए प्रभु! अब तो ईमानदार विचारों, अचारों, व्यवहारों तक के सैंपल फेल हुए जा रहे हैं। पर एक सैंपल फेल ईमानदार अचार, विचार, व्यवहार हैं कि समाज को नई दिशा देने में जुटे हैं। सैंपल फेलों के साथ अब अपनी ट्यूनिंग हो गई है प्रभु! इसलिए डाॅन्ट वरी! तुम्हारे भक्त को कुछ नहीं होने वाला’, मैंने उनकी चेतावनी को इग्नोर करते मुंह में सैंपल फेल बीपी की गोली डाली और अपने बीपी को नार्मल फील करता निष्काम कार्य में पुनः लीन हो गया। क्वालिटी माया है, बाकी सब बकवास है।

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