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आया है अब मौसम पलटी मारने का

06:24 AM Feb 16, 2024 IST
आया है अब मौसम पलटी मारने का
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राजशेखर चौबे

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जनता समझ गई है कि वह बेईमान है, ऐसा क्यों, क्योंकि वह ईमानदारी का ढिंढोरा पीट रहा है। नेता ढिंढोरा पीटता है कि वह पलटी नहीं मार रहा है। यदि अचानक शांत हो जाता है तो समझ लीजिए कि पलटने का मौसम आ गया है। मौसम विज्ञानी नेता मौसम देखकर पलटते हैं। पलटने का मजा तो आप ही जानते हैं पलटू बाबू। सुना है कि सांप भी काटने के बाद पलटी मार कर ज़हर उड़ेल देते हैं। पलटी मारने वाले नेता पलटी मार कर घर में घुस जाते हैं परंतु झेलना प्रवक्ताओं को पड़ता है। पलटी मार नेता दो-तीन दिन केवल पुराने पोस्ट डिलीट करने का ही काम करते हैं। वैसे ट्विटर सहित सभी सोशल मीडिया को एक नियम बनाना चाहिए कि पलटी मारने वाले गिरगिटी नेताओं के पुराने पोस्ट डिलीट न हों। पलटी मार नेताओं को लॉलीपॉप देने का रिवाज है। अब रत्न रूपी लॉलीपॉप दिया जा रहा है।
अहसान का बदला हर कोई चुकाना चाहता है। आजकल अहसान का बदला पलटी मारना है। पलटी मारकर आप अहसान करने के काबिल बन सकते हैं। वैसे दोबारा पलटी मारकर दूसरों से अहसान लिया जा सकता है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक अहसान ही अहसान हैं और अहसान फ़रामोश भी हैं। पूरब पश्चिम फिल्म में महेंद्र कपूर का गाना है :-
‘जीते हो किसी ने देश तो क्या,
हमने तो दिलों को जीता है।’
आजकल रत्नों का उपयोग दिल, दिमाग और वोट जीतने के लिए हो रहा है। दिल हारने वाला व्यक्ति बेइज्जती भूल जाता है और बेशर्म हो जाता है। पलटी मारने के लिए बेशर्मी अनिवार्य शर्त है। पलटी मारने से आमदनी बढ़ सकती है। कहावत है—
आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया। अठन्नी और चवन्नी का चोली-दामन का साथ था परंतु दो जून, 2011 को चवन्नी का सिक्का बंद कर दिया गया था। राजनीति में चवन्नियों की भरमार है। एक अदना नेता दावा करता है कि वह चवन्नी नहीं है जो पलटी मार जाए। अब पलटने के बाद लोग जान गए हैं कि वह चवन्नी ही थे जो रुपये का मुखौटा लगाकर इधर बैठ गए थे। उनका सोचना है कि उधर जाकर चवन्नी अठन्नी बन जाएगी पर वे यह भूल गए कि उनके द्वारा 1000 और 2000 के नोट बंद किए जा चुके हैं। चवन्नी कब तक अपना खैर मनाएगी?

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