अब हरियाणा के किसान करेंगे ड्रैगन फ्रूट की खेती
चंडीगढ़, 6 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा के किसानों को परंपरागत खेती की बजाय मार्केट की डिमांड के हिसाब से पैदावार करने की ओर मोड़ने की कोशिश राज्य की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार कर रही है। धान व बाजरा उत्पादक किसानों को दलहन, तिलहन व मक्का उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ाने के साथ ही अब सरकार ने राज्य में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
अहम बात यह है कि योजना बनाते समय सरकार ने किसानों के जोखिम का ख्याल रखा है। यह अपनी तरह की पहली खेती होगी, जो हरियाणा में पहली बार होगी। ऐसे में किसानों के सामने रिस्क भी होगा। इसे भांपते हुए और अधिक से अधिक किसानों को इस ओर आकर्षित करने के लिए सरकार ने ड्रैगन खेती करने वाले किसानों को मोटा अनुदान देने का भी निर्णय लिया है।
पिछले कुछ सालों से देश में ड्रैगन फ्रूट की डिमांड ही नहीं बढ़ी है, कई राज्यों के किसानों ने इसकी खेती भी शुरू की है। हरियाणा चूंकि नई दिल्ली को तीन ओर से घेरता है, ऐसे में हरियाणा के किसानों के पास अच्छी मार्केट है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लाभ भी राज्य के किसानों को मिलेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की योजना सरकार ने तैयार की है। इस खेती को अपनाने वाले किसानों को 1 लाख 20 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी दिया जाएगा।
यह पैसा इसलिए दिया जा रहा है ताकि किसानों के मन में यह दुविधा न रहे कि इस नई खेती से अगर उन्हें नुकसान होता है तो उसकी भरपाई कैसे होगी। इसका प्रबंध सरकार ने पहले ही कर दिया है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ़ सुमिता मिश्रा के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ाने के लिए विशेष अनुदान योजना लागू की है।
ड्रैगन फ्रूट की बाजार में काफी मांग है। किसान इस फल की खेती करके अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। डॉ़ मिश्रा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट के बाग के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये प्रति एकड़ के अनुदान का प्रावधान है। इसमें पौधा रोपण के लिए 50,000 रुपये एवं ट्रैलिसिंग सिस्टम (जाल प्रणाली) के लिए 70,000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा।
10 एकड़ तक मिलेगी अनुदान सुविधा
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के इच्छुक किसान अधिकत 10 एकड़ भूमि में अनुदान ले सकेंगे। अगर कोई किसान इससे अधिक जमीन में खेती करना चाहता है तो 10 एकड़ से अधिक पर उसे अनुदान नहीं मिलेगा। अनुदान के लिए किसान का ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। अनुदान ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर मिलेगा।