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अब युवा भी आ रहे स्ट्रोक की चपेट में

08:09 AM Dec 14, 2023 IST
अब युवा भी आ रहे स्ट्रोक की चपेट में
पीजीआईएमईआर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते न्यूरोलॉजी विभाग से डॉ. किरण जांगड़ा, डॉ. धीरज खुराना, डॉ. कमलेश चक्रवर्ती और प्रोफेसर परमप्रीत खरबंदा। -ट्रिन्यू
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 13 दिसंबर
स्ट्रोक बुजुर्गों को ही नहीं युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इसका एक कारण बदलता लाइफ स्टाइल है। जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई कॉलेस्ट्रॉल, मोटापा और खानपान का ध्यान नहीं रखते उनमें ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मरीजों को स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर तुरंत ऐसे अस्पताल ले जाना चाहिए, जहां 24 घंटे सीटी स्कैन की सुविधा हो। ठंड बढ़ने के साथ स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ. प्रो. धीरज खुराना ने बताया कि 50 साल से कम उम्र के 8 से 10 फीसदी युवा स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के समय तुरंत अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए ताकि बीमारी को पकड़ा जा सके और आगे इलाज शुरू किया जा सके।
प्रो. धीरज खुराना ने बताया कि स्ट्रोक आने की स्थिति में न्यूरोसोनोलॉजी न्यूरोइमेजिंग के अंदर एक विशेष क्षेत्र अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करके तंत्रिका तंत्र की जटिलताओं का पता लगाता है। इससे पता लगाया जाता है कि मस्तिष्क और तंत्रिका संरचनाओं के अंदर रक्त का कितना प्रवाह है। न्यूरोसोनोलॉजी भी चुपचाप न्यूरोमस्कुलर रोगों के क्षेत्र में एक भूमिका निभाती है। गैर-आक्रामक और वास्तविक समय अल्ट्रासाउंड तकनीकों के माध्यम से यह स्ट्रोक की स्थिति में करता है।
प्रो. खुराना ने बताया कि स्ट्रोक के रोगियों के लिए एक एप पर काम किया जा रहा है जो चंडीगढ़ के अस्पतालों के साथ-साथ अन्य अस्पतालों के साथ जुड़ी होगी। मोबाइल आधारित एप्लिकेशन उन अस्पतालों में स्ट्रोक के इलाज का प्रबंधन करेगा जहां न्यूरोलॉजिस्ट या सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है। इससे उपचार का समय कम होने और 4.5 घंटे की स्वर्णिम अवधि के भीतर रोगियों को बचाने की
उम्मीद है।
चंडीगढ़ के जीएमएसएच-16 में सीटी स्कैन सुविधा उपलब्ध है। सिविल अस्पतालों को इस मॉडल में शामिल करने पर काम किया जा रहा है। कोड स्ट्रोक, जो एप्लिकेशन के साथ एकीकृत है, एक स्वचालित कॉलिंग प्रणाली है जो अस्पताल में आने वाले मरीजों के बीच स्ट्रोक की शुरुआत का समय प्रदान करती है। यह स्पोक की स्ट्रोक टीम और हब टीम को सचेत करेगा जो मरीजों को प्राप्त करने के लिए तैयार होगी। स्ट्रोक के मरीजों के लिए पहले 4.5 घंटे के गोल्डन आवर्स बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान अगर मरीज अस्पताल पहुंच जाए तो क्लॉट को डिजॉल्व करने के लिए टीपीए का इंजेक्शन देकर बचाया जा सकता है।

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सातवां वार्षिक सम्मेलन आज से

सोसायटी ऑफ न्यूरोसोनोलॉजी का 7वां वार्षिक सम्मेलन चंडीगढ़ में होने वाला है, जिसकी मेजबानी पीजीआईएमईआर के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा की जाएगी। पत्रकारों को सम्मेलन की जानकारी देते हुए प्रो. धीरज खुराना ने बताया कि 14 से 16 दिसंबर तक आयोजित होने वाला यह सम्मेलन न्यूरोलॉजी में अल्ट्रासाउंड के उपयोग पर व्यापक चर्चा होगी। एसीएसएन 2023 उभरते और अनुभवी डाक्टरों के हितों को पूरा करते हुए विभिन्न प्रकारों के विषयों पर बातचीत होगी। इस मौके पर न्यूरोलॉजी विभाग से डॉ. किरण जांगड़ा, डॉ. कमलेश चक्रवर्ती और प्रोफेसर परमप्रीत खरबंदा भी मौजूद थे।

स्ट्रोक को रोकने के उपाय

हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाता है, इसलिए इसके स्तर पर निगाह रखें। वहीं वजन कम करने से कई अन्य परेशानियों से बचा जा सकता है। हर दिन लगभग 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूरी है, इसी के साथ धूम्रपान और मदिरापान न करें और ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखें। इसके अलावा मेडिटेशन और योग जैसी गतिविधियों के माध्यम से तनाव कम करें।

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