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पूरक साधनों के तौर पर एआई ही नहीं नैसर्गिक बुद्धि भी आवश्यक : गर्ग

07:14 AM Aug 29, 2024 IST
पूरक साधनों के तौर पर एआई ही नहीं नैसर्गिक बुद्धि भी आवश्यक   गर्ग
पटियाला में बुधवार को चितकारा यूनिवर्सिटी के सहयोग से ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित प्राइवेट स्कूलों की प्रिंसिपल मीट में भाग लेने वाले प्रिंसिपल। -राजेश सच्चर

गुरनाम सिंह अकीदा
पटियाला, 28 अगस्त
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं करिअर कौंसलर आदि गर्ग ने आज चितकारा यूनिवर्सिटी के सहयोग से ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह द्वारा यहां आयोजित प्रिंसिपल मीट में बतौर विशिष्ट अतिथि शिक्षा में हो रहे बदलावों एवं नये रूझानों पर प्रकाश डाला। मीट में 70 से अधिक प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों ने भाग लिया। श्री गर्ग ने कहा कि शिक्षा जीवन का एक आवश्यक हिस्सा है और मनोकल्पित धारणाओं के आधार पर इसे नहीं चलाया जा सकता बल्कि पुख्ता तरीके से फैसले लिये जाने की आवश्यकता है क्योंकि अध्यापक ही बच्चे के भविष्य को संवारने का काम करते हैं। आज की इस मीट का विषय था ‘टेक्नोलॉजी इंटेग्रेशन इन स्कूल : अपार्चुनिटी एंड चैलेंज’।
अपने संबोधन में आदि गर्ग ने अध्यापन-प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिये माता-पिता-अध्यापक के बीच सौहार्द व आपसी तालमेल की वकालत की। अध्यापकों और माता-पिता के बीच सकारात्मक आपसी तालमेल की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अभिभावकों की भूमिका स्कूल में फीस भर देने पर खत्म नहीं हो जाती, उन्हें भी इसमें सहयोग देने की जरूरत है और उन्हें अध्यापकों पर भरोसा करने की जरूरत है। श्री गर्ग ने अध्यापकों को अपने छात्रों के साथ एक रिश्ता बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अगर स्कूल में एक भी अध्यापक ऐसा है जो छात्रों के जीवन को छू सकता है और उनके साथ मजबूत रिश्ता बना सकता है, तो पढ़ाना व सीखना सचमुच ही प्रभावशाली एवं रोचक होगा। उन्होंने कहा कि अध्यापकों को केवल होशियार छात्रों पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा देरी से सीखने (स्लो लर्नर) वाले विद्यार्थियों को भी कमतर नहीं समझना चाहिए। एक अध्यापक का फर्ज होशियार छात्र के प्रति भी जितना है उतना ही स्पेशल विद्यार्थियों के प्रति भी है। शिक्षा में टेक्नोलॉजी की भूमिका पर कहा कि पूरक साधनों के तौर पर कृत्रिम मेधा (एआई) ही नहीं बल्कि नैसर्गिक बुद्धि की भी आवश्यकता होती है। छात्रों को व्यवहारिक हुनर से लैस करने और उनमें रोजगार योग्यता बढ़ाने के लिये किताबोन्मुखी शिक्षा पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग होना चाहिए। उन्होंने बच्चे के सर्वपक्षीय विकास में माता-पिता की भूमिका और महत्व पर भी बात की।
इस अवसर पर चितकारा यूनिवर्सिटी की निदेशक प्रीति चौधरी ने चितकारा यूनिवर्सिटी की अकादमिक गतिविधियों, विभागों, कक्षाओं एवं यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के बारे में अवगत कराया। उन्होंने इसमें उपयोग में लाये जाने वाले तकनीकी उपकरणों पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि चितकारा ऐसी यूनिवर्सिटी है जो बच्चों के भविष्य को निखारने में अहम रोल अदा करती है और छात्रों को 100 प्रतिशत प्लेसमेंट दिलाती है। चितकारा यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले छात्र दुनिया में बड़े-बड़े ओहदों पर हैं और सफलतापूर्वक अपना जीवन बसर कर रहे हैं। प्रिंसिपल मीट में कैंटल स्कूल के श्री चंद शर्मा ने कहा कि ट्रिब्यून द्वारा कराया गया सैशन बहुत प्रभावशाली रहा। अलग-अलग स्कूलों से आये प्रिंसिपलों ने कहा कि यह सत्र बच्चों को अच्छा शिक्षार्थी कैसे बनाया जाये, यह सीखने लिये अध्यापकों के लिये आवश्यक था। इस अवसर पर ट्रिब्यून ग्रुप के विज्ञापन प्रबंधक अजय ठाकुर, सर्कुलेशन मैनेजर मुकेश कलकोटि, सर्कुलेशन विभाग से एग्जिक्यूटिव कर्मवीर सिंह, संदीप शर्मा के अलावा चितकारा यूनिवर्सिटी का स्टाफ भी उपस्थित रहा।

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