लोकतंत्र में कानून से ऊपर कोई नहीं होता : धनखड़
रोहतक, 26 दिसंबर (हप्र)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को यहां कहा कि उन्हें पीड़ा होती है, जब कोई नागरिक राष्ट्र विरोधी नेरेटिव चलाकर देश को नीचा दिखाता है और संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करता है। वे महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित 18 वें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि ऐसे लोगों को संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर को पढ़ना चाहिए जिन्होंने कहा था कि आपको पहले भारतीय होना चाहिए, अंत में भारतीय और भारतीय के अलावा कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि आज के दीक्षांत समारोह में 1216 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि प्रदान की गई है और यह गर्व की बात है कि इनमें से 740 लड़कियां हैं, जोकि देश व हरियाणा में बदलाव के गौरवान्वित परिदृश्य को दर्शाता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पहले कुछ लोग अपने आप को कानून से ऊपर समझते थे उनको लगता था कि कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन कानून ने उनको अपने शिकंजे में जकड़ कर यह बता दिया कि लोकतंत्र में कानून से ऊपर कोई नहीं होता। देश साल 2047 तक विकसित भारत के रूप में अपनी विशिष्ट जगह पूरे विश्व में बनाएगा। उन्होंने कहा, आप एक दशक पीछे जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि जो सत्ता के गलियारे दलालों से भरे रहते थे उन्हें आज पूरी तरीके से दलालों से मुक्त कर दिया गया है और आज भारत में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भारत प्रौद्योगिकियों के नवीनीकरण के क्षेत्र में दुनिया के पहले 10 देशों में से एक है। हम उन देशों की अग्रिम पंक्ति में है, जिन्होंने क्वांटम तकनीक पर ध्यान दिया और केंद्र सरकार ने इस क्वांटम मिशन के लिए 6000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना और क्वांटम प्रौद्योगिकी (क्यूटी) में एक जीवंत और नवीन पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। समारोह के दौरान मंच पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी डा सुदेश धनखड़, शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा, सांसद डा अरविंद शर्मा तथा रामचंद्र जांगड़ा, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अजय बंसल, न्यायाधीश सूर्यकांत की पत्नी डॉ. सविता, अतिरिक्त मुख्य सचिव (उच्चतर शिक्षा) हरियाणा आनंद मोहन शरण उपस्थित रहे।
स्मारिका का विमोचन
समारोह में उपराष्ट्रपति ने बेस्ट पीएचडी थीसिस के 12 अवार्डीज तथा तीन पदक विजेताओं को सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह में स्मारिका-पुस्तिका का विमोचन किया गया। उपराष्ट्रपति ने एमडीयू परिसर में पौधरोपण भी किया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को डॉक्टर आफ लैटर्स (लॉ)-डि.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने दीक्षांत समारोह में स्वागत भाषण दिया।