विशेष राज्य के बारे में पूछे जाने पर बोले नीतीश- सब कुछ धीरे-धीरे जान जाइएगा
पटना, 23 जुलाई (भाषा)
Nitish Kumar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार पर सोमवार को भेदभरी प्रतिक्रिया दी। केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के शीर्ष नेता नीतीश से एक दिन पहले संसद में केंद्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के संबंध में दिए बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने मंगलवार को कहा, ‘‘सब कुछ धीरे-धीरे जान जाइएगा।''
बिहार विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों के इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में केवल इतना कहकर नीतीश अपनी मुस्कान बिखेरते और मीडियाकर्मियों की भीड़ की ओर हाथ हिलाते हुए सदन भवन में प्रवेश कर गए।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा बहुमत से चूक गई है और सहयोगी दलों पर काफी निर्भर है। जदयू ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग को लेकर एक नया प्रस्ताव पारित किया था। केंद्र सरकार में जदयू के दो मंत्री हैं।
पार्टी के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि प्रस्ताव में ‘‘विशेष पैकेज और अन्य प्रकार की सहायता'' की भी बात कही गई है और बिहार को नरेन्द्र मोदी सरकार से अभी भी बहुत कुछ मिल सकता है। हालांकि, राज्य में विपक्षी नेताओं को लगता है कि बिहार को ‘धोखा' दिया गया है।
नीतीश के कट्टर प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद का मानना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने से केंद्र सरकार के इनकार के बाद जदयू प्रमुख को इस्तीफा दे देना चाहिए। विपक्ष के ‘इंडिया' गठबंधन के गठन में शुरुआती दौर में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश ने इस साल जनवरी में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में लौटने के पूर्व राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी ‘महागठबंधन' से नाता तोड़ लिया था।
लोकसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को कहा था कि अतीत में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया है। चौधरी ने कहा था, ‘‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उचित नहीं है।''
मंत्री ने कहा कि इन राज्यों में कुछ ऐसी विशेषताएं थीं जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि इनमें पर्वतीय और दुर्गम भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी जनसंख्या की बड़ी हिस्सेदारी, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी संरचना के लिहाज से पिछड़ापन और राज्य के वित्त की अलाभकारी प्रकृति शामिल रहीं।
चौधरी ने कहा था कि फैसला उक्त सूचीबद्ध सभी कारकों और किसी राज्य की विशिष्ट स्थिति के आकलन के आधार पर लिया गया था। उन्होंने कहा था, ‘‘पूर्व में विशेष श्रेणी के दर्जे के बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) द्वारा विचार किया गया था, जिसने 30 मार्च 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आईएमजी ने यह निष्कर्ष निकाला था कि एनडीसी के मौजूदा मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है।''
वर्ष 2012 में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार केंद्र में थी। बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग सबसे पहले 2000 में उठी जब झारखंड के निर्माण के बाद राज्य में खनिज समृद्ध और अपेक्षाकृत अधिक शहरीकृत और औद्योगिक क्षेत्र नये राज्य के हिस्से में चले गए।
हालांकि यह मांग तब और अधिक तीव्र हो गई जब केंद्र में संप्रग सरकार सत्तासीन थी, नीतीश कुमार ने 2010 में इसको लेकर बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाया था और राज्य को विशेष दर्जा देने वाली ‘‘किसी भी सरकार'' को समर्थन देने की घोषणा की थी। भाषा
बजट में बिहार को सौगात; हवाई अड्डों, अन्य परियोजनाओं के लिए 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव
केंद्रीय बजट में मंगलवार को बिहार के लिए कई बड़े कदम उठाए गए। इनमें राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के लिए 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय का प्रस्ताव किया गया। इनमें तीन एक्सप्रेसवे, एक बिजली संयंत्र, विरासत गलियारों, नए हवाई अड्डे एवं खेल बुनियादी ढांचे के लिए योजनाओं की रूपरेखा पेश की गई।
आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन सड़क संपर्क परियोजनाओं - पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे, तथा बोधगया, राजगीर, वैशाली और दरभंगा एक्सप्रेसवे और बक्सर में गंगा नदी पर एक अतिरिक्त दो-लेन पुल के विकास के लिए केंद्र के समर्थन की घोषणा की।
सीतारमण ने कहा कि इन चार परियोजनाओं की कुल लागत 26,000 करोड़ रुपये होगी। बिहार के लिए अन्य सौगातों में भागलपुर जिले के पीरपैंती में 2,400 मेगावाट का विद्युत संयंत्र स्थापित करना शामिल है, जिसपर 21,400 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सरकार बिहार में हवाई अड्डे, मेडिकल कॉलेज और खेल संबंधी बुनियादी ढांचा भी स्थापित करेगी। इसके अलावा, केंद्र बिहार की बाढ़ में भी मदद करेगा।
बिहार नेपाल से निकलने वाली कई नदियों की बाढ़ से अक्सर पीड़ित रहता है। कोसी से संबंधित बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई परियोजनाओं का सर्वेक्षण और जांच भी की जाएगी। सरकार बाढ़ से निपटने के लिए राज्य को 11,500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार बहुपक्षीय विकास एजेंसियों की सहायता से बिहार को वित्तीय सहायता की व्यवस्था करेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य में राजमार्गों के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। सीतारमण ने कहा, “बिहार में नए हवाई अड्डों और खेल अवसंरचना का निर्माण किया जाएगा तथा पूंजीगत निवेश को समर्थन देने के लिए अतिरिक्त आवंटन प्रदान किया जाएगा…। बहुपक्षीय विकास बैंकों से बाह्य सहायता के लिए बिहार सरकार के अनुरोध पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।”
देश के पूर्वी भाग को संपदा से समृद्ध बताते हुए उन्होंने कहा, “हम गया में औद्योगिक ‘नोड' के निर्माण का समर्थन करेंगे...यह हमारे सांस्कृतिक महत्व के प्राचीन केंद्रों को आधुनिक अर्थव्यवस्था के भविष्य के केंद्रों के रूप में विकसित करने के लिए एक अच्छा मॉडल भी होगा।”
यह मॉडल वृद्धि पथ में ‘विकास भी विरासत भी' प्रदर्शित करेगा। इसके अलावा, बजट में राजगीर के लिए एक व्यापक विकास पहल का भी प्रस्ताव किया गया। राजगीर हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के लिए धार्मिक महत्व रखता है।
सीतारमण ने घोषणा की कि सरकार बिहार के नालंदा को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने में भी सहयोग करेगी। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार नालंदा विश्वविद्यालय को उसका गौरवशाली स्वरूप प्रदान करने के अलावा नालंदा को पर्यटन स्थल केंद्र के रूप में भी विकसित करने में सहयोग करेगी।'
वित्त मंत्री ने बिजली परियोजनाओं के बारे में भी बात की। इसमें पीरपैंती (बिहार) में 2,400 मेगावाट बिजली संयंत्र की स्थापना भी शामिल है, जिस पर 21,400 करोड़ रुपये की लागत आएगी।