नीतीश पाला बदल सीएम, तेजस्वी बनेंगे डिप्टी
पटना, 9 अगस्त (एजेंसी)
बिहार में मंगलवार को तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से दो बार मुलाकात की। कुमार ने पहली बार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा और फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन का नेता चुने जाने के बाद राज्य में एक बार फिर शीर्ष पद के लिए अपना दावा पेश किया। कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को 164 विधायकों की सूची सौंपी है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव क्रमशः मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ बुधवार दोपहर दो बजे लेंगे। भाजपा नीत राजग को छोड़ कुमार 8वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे। वह सात दलों के गठबंधन का नेतृत्व करेंगे।
बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जद (यू) नेता कुमार पर 2020 के विधानसभा चुनावों के जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया और दावा किया कि कुमार को इसके लिए ‘बिहार की जनता सजा देगी।’ कुमार का यह कदम 2017 में जो हुआ था उसका उलटा है जब वह महागठबंधन का साथ छोड़कर राजग में फिर से शामिल हो गए थे। कुमार ने सहयोगी भाजपा का साथ नौ साल में दूसरी बार छोड़ा है। नरेंद्र मोदी को गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उन्होंने 2013 में राजग का साथ छोड़ दिया था। जद(यू) की बैठक के बाद कुमार अपना इस्तीफा सौंपने के लिए राजभवन गए। उक्त बैठक में सहयोगी भाजपा पर ‘पीठ में छुरा घोंपने’ का आरोप लगाया गया। कुमार वहां से अपने आवास पर लौट आए, वह रास्ते में पत्रकारों को यह सूचित करने के लिए थोड़ी देर के लिए रुके कि ‘पार्टी की बैठक में यह तय किया गया है कि हम राजग छोड़ दें। इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया है।’ इसके तुरंत बाद, कुमार सड़क के उस पार स्थित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास गए, जहां महागठबंधन के सभी नेता एकत्र हुए थे। राबड़ी देवी के आवास पर कुमार लगभग आधा घंटा रुके। वह विपक्ष के नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ लौटे, जिनके पास कुमार के लिए समर्थन पत्र था।
समझा जाता है कि मुख्यमंत्री कुमार ने विधायकों और सांसदों के साथ हुई बैठक में कहा है कि भाजपा ने उन्हें बाध्य किया, क्योंकि उसने पहले चिराग पासवान से विद्रोह कराकर और फिर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को सामने खड़ा करके जदयू को कमजोर करने की कोशिश की। कुमार की स्पष्ट सहमति के बिना सिंह को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव का संकेत : विपक्ष
विपक्षी दलों ने बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम को राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव का संकेत करार दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘…उत्थान के बाद पतन तय होता है।’ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने कहा, ‘भाजपा के अधिनायकवाद ने सहयोग के लिए गुंजाइश नहीं छोड़ी है।’ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओब्रायन ने दावा किया कि इसी लिये संसद का मानसून सत्र पहले स्थगित करवा दिया।
बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो : चिराग
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान ने कहा, ‘नीतीश कुमार ने एक बार फिर जनादेश का अपमान किया है। उन्होंने अपनी विश्वसनीयता खो दी है… मैं राज्यपाल से आग्रह करूंगा कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की अनुशंसा करें। विधानसभा चुनाव कराया जाना चाहिए।’ यह पूछे जाने पर कि अब उनकी क्या भूमिका होगी, चिराग ने कहा, ‘इस बारे में मैंने कोई फैसला नहीं किया है।’
अनुभवी सीएम ने उठाया साहसिक कदम : तेजस्वी
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘नीतीश देश के सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक साहसिक कदम उठाया है।’ इस दौरान उनकी बहनों से एक के बाद तंज भरे कई ट्वीट किये । इससे पहले दिन में, जब जद (यू) की एक बैठक चल रही थी, वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट में कुमार को ‘नये रूप में नये गठबंधन’ का नेतृत्व करने के लिए बधाई दी।
विधायकों की संख्या
कुल सदस्य : 243
प्रभावी संख्या : 242 (एक सदस्य अयोग्य घोषित)
बहुमत की संख्या : 122
महागठबंधन : जद (यू) : 46 (45 एक निर्दलीय), राजद : 79, कांग्रेस : 19, भाकपा-माले : 12, भाकपा : 02, माकपा : 02, हम : 04-कुल : 164
भारतीय जनता पार्टी : 77
एआईएमआईएम : 01