मानसून में सेहत की सहेली है निंबोली
मानसून में निंबोली का सेवन हमारे शरीर को तरह-तरह के मौसमी संक्रमणों से सुरक्षित रखने में मददगार है। इसे खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है। स्किन डिजीज समेत कई रोगों में हर्बल चिकित्सक निंबोलियां खाने का सुझाव देते हैं। नीम में एंटीकार्सिनोजेनिक, एंटीइंफ्लेमेट्री, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीसेप्टिक और एंटीमाइक्रोबियल गुण हैं।
रेखा देशराज
नीम की निंबोली यानी नीम के छोटे छोटे फल, जिनसे मानसून के मौसम में नीम के पेड़ लदे रहते हैं, इन्हें खाने से इस मौसम में न केवल हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है बल्कि हमारा शरीर इस मौसम में होने वाले तरह तरह के संक्रमणों से सुरक्षित रहता है। निंबोली खाने में तो कड़वी होती है, लेकिन इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबैक्टीरियल और जो एंटीइंफ्लेमेट्री गुण पाये जाते हैं, उसके कारण हमारा ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहता है और इस मौसम में त्वचा में होने वाले बहुत तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी हम बचे रहते हैं।
बरसात में संक्रमण का मुकाबला
नीम हमारी सेहत के लिए हर तरह से बहुत फायदेमंद होती है। इसलिए जब स्वास्थ्य के लिहाज से सबसे संवेदनशील मानसून का मौसम आता है, उस समय नीम की पत्तियां, उसकी कोंपलें या इसके फल जिन्हें निंबोली कहते हैं, सब कुछ खाने से हमें फायदा होता है। मानसून में दूसरे मौसमों के मुकाबले बैक्टीरिया और वायरस के पनपने की दर कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है, जिसके कारण बीमार होने के खतरे भी काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए हर्बल चिकित्सा के जानकार बारिश के मौसम में नीम की पत्तियां या निंबोलियां खाने का सुझाव देते हैं। अगर खाना मुश्किल लगे तो नीम की पत्तियों वाले पानी से इस मौसम में नियमित नहाएं। इससे त्वचा के संक्रमणों से बचे रह सकते हैं।
सप्ताह में 3-4 बार खाना पर्याप्त
बारिश का मौसम आते ही नीम के पेड़ निंबोलियों से लद जाते हैं। पीले रंग का यह फल अनोखे स्वाद से भरपूर होता है। हालांकि खाने में यह कड़वा लग सकता है, लेकिन दो-चार बार खाने के बाद अगर हम इसे आराम से खाने की आदत बना लें तो सप्ताह में 3 से 4 बार भी अगर हम पांच-पांच, छह-छह निंबोली खा लें तो इस मौसम में स्वस्थ रहने का हम लाइसेंस हासिल कर लेंगे। जो लोग निंबोली खाने में मुश्किल महसूस करते हैं, उन्हें नीम की पत्तियां खाने की आदत डालनी चाहिए।
नीम का हर हिस्सा उपयोगी
नीम के पेड़ का कोई भी हिस्सा खाया जा सकता है। पानी में इसका अर्क उतारकर पानी को पिया जा सकता है, उसके भी अनेक फायदे हैं। क्योंकि नीम में एंटीकार्सिनोजेनिक, एंटीइंफ्लेमेट्री, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीसेप्टिक और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाये जाते हैं, जिससे यह हमारे शरीर को हर तरह की इंफेक्शन से बचाती है। शरीर में बैक्टीरिया और वायरस को पनपने नहीं देती और घाव को जल्द से भरने में मदद करती है।
त्वचा के रोगों में कारगर
नीम का हर हिस्सा इंसान के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसलिए नीम को आयुर्वेद में औषधियों का खजाना कहते हैं। नीम का फल चूंकि इस मौसम में विशेष रूप से पाया जाता है और उसमें पत्तियों और छाल के मुकाबले कहीं ज्यादा नीम के गुण मौजूद होते हैं। हर्ब्स के जानकार सुझाव देते हैं। मानसून के मौसम में एग्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी बीमारियों के तेजी से होने और बढ़ने का खतरा रहता है। नीम की निंबोलियां इन पर बहुत अच्छे से अंकुश लगाती हैं, क्योंकि नीम की निंबोलियां खाने से हमारा ब्लड फिल्टर होकर प्योर होता है, जिस कारण एग्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी बीमारियां नहीं होतीं।
नीम का हर हिस्सा जिस तरह से इंसान के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन फिर भी इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने की जरूरत होती है। चिकित्सक की सलाह पर ही इसका सेवन करें। कई जानकार कहते हैं कि यदि आपके लीवर या किडनी में कोई समस्या हो तो नीम के किसी भी पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए। इसी तरह गर्भवती महिलाओं को बिना किसी विशेषज्ञ की मदद के इसे कतई इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। - इ.रि.सें.