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मानवतावादी दृष्टिकोण के अनुरूप हैं नये कानून : जस्टिस नागू

07:35 AM Jan 24, 2025 IST
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्िटस शील नागू बृहस्पतिवार को न्यायालय परिसर में डॉ. के.के. खंडेलवाल की नये आपराधिक कानूनों पर लिखी तीन पुस्तकों का विमोचन करते हुए।

अरुण नैथानी/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 जनवरी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने नये न्यायिक कोडों को स्वतंत्र भारत की जनाकांक्षाओं का प्रतीक और मानवतावादी दृष्टिकोण के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक कानून का मूल स्वरूप दंडात्मक था, जबकि नई संहिता न्याय, समानता और कानून के शासन के सिद्धांतों को अभिव्यक्त करने वाली न्यायिक प्रणाली के अनुरूप है, जो समय की जरूरतों तथा आधुनिक तकनीक के जरिये सहज-सरल न्याय का मार्ग प्रशस्त करती हैं। साथ ही साइबर अपराध, भीड़ की हिंसा व आतंकवाद की चुनौती से मुकाबले को कानून को सक्षम बनाती हैं। उन्होंने कहा कि नये कानून में छोटे अपराधों में सजा देने के बजाय सुधारात्क रूप से समाज सेवा का अवसर दिया गया है जो कानून के मानवीय चेहरे को दर्शाता है।
चीफ जस्टिस हाई कोर्ट परिसर में स्थित पंजाब व हरियाणा बार एसोसिएशन के मुख्य बार रूम में कानूनी बिरादरी के तीन महत्वपूर्ण कानूनी ग्रंथों का विमोचन कर रहे थे। न्यायमूर्ति नागू ने आधिकारिक रूप से डॉ. के.के. खंडेलवाल द्वारा तैयार ग्रंथ ‘भारतीय न्याय संहिता पर विवेचन और टिप्पणी’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर विवेचना और टिप्पणी’ तथा ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर विवेचना और टिप्पणी’ शीर्षक तीन पुस्तकों के दो खंडों का विमोचन किया। उल्लेखनीय है कि रविंद्र खंडेलवाल, कमलजीत दाहिया, श्रीमती अनु सिंह और वरुण चुघ के सह-लेखन में तैयार किए गए ये ग्रंथ, नये आपराधिक कानूनों के आलोक में हमारी कानून व्यवस्था में दक्षता, न्यायसंगतता और प्रतिसादशीलता को दर्शाते हैं।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस अजय मित्तल ने पुस्तक विमाेचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इन नये आपराधिक कानूनों से देश में न्यायिक विमर्श को नया आयाम मिला है, जिसने औपनिवेशिक काल में दंड देने वाले कानून की जगह भारतीय मूल्यों व न्याय की अवधारणा के अनुरूप कानूनों को प्रतिष्ठित किया है, जो इन कानून को प्रासंगिक बनाते हैं। उन्होंने कहा कि ये पुस्तकें नये कानूनों को लेकर उपजी कतिपय दुविधा के बाबत कानूनी पेशेवरों का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इस कार्यक्रम का आयोजन पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के तत्वावधान में कार्यवाहक अध्यक्ष जसदेव सिंह बराड़ तथा मानद सचिव स्वर्ण सिंह तिवाना ने किया।
उल्लेखनीय है कि के.के. खंडेलवाल हरियाणा कैडर के 1985 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में भारत स्काउट्स और गाइड्स के राष्ट्रीय आयुक्त हैं। उन्होंने कानून, प्रबंधन व सांस्कृतिक विषयों पर तीस से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि नये कानून आवश्यक न्यायशास्त्रीय अंतर्दृष्टि पैदा करने और व्यावहारिक मार्गदर्शन करने में सहायक होंगे।

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