न्यू चंडीगढ़ : गांव के रास्ते भी बिल्डर को बेच दिये
रुचिका एम खन्ना/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 3 फरवरी
न्यू चंडीगढ़ में एक निजी बिल्डर को गांव के रास्तों की अवैध बिक्री की मंजूरी देने के मामले में पंजाब सरकार ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों- दिलराज सिंह संधावालिया और परमजीत सिंह के खिलाफ जांच शुरू की है।
गांव के साझे रास्ताें को कानूनी तौर पर तब तक बेचा नहीं जा सकता, जब तब डायरेक्टर (कंसोलिडेशन) और डायरेक्टर (लैंड रिकॉर्ड) द्वारा इन्हें ‘छोड़ा गया’ घोषित नहीं किया जाता। लेकिन, इस मामले में नवंबर 2024 में दोनों अधिकारियों द्वारा इसके बिना ही बिक्री की मंजूरी दे दी गयी थी।
संधावालिया ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के सचिव और परमजीत सिंह निदेशक हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले सप्ताह जांच को हरी झंडी दे दी थी। ट्रिब्यून को पता चला है कि जांच पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा कर रहे हैं। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जांच लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही दोनों अधिकारियों को आरोप पत्र जारी किया जाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि स्टेट विजिलेंस ब्यूरो आगे की जांच करेगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘वे इस बात की जांच कर सकते हैं कि मूल रूप से 2018 में जमीन की बिक्री की अनुमति किसने दी थी। आरोप हैं कि बिक्री की सुविधा के एवज में कुछ उच्च अधिकारियों को न्यू चंडीगढ़ में बिल्ट-अप प्रॉपर्टी दी गयी।’ बार-बार प्रयास करने के बावजूद संधावालिया और परमजीत सिंह से संपर्क नहीं हो सका।
हाईकोर्ट तक पहुंचा था मामला
एक निजी बिल्डर ने सैनी माजरा गांव और उसके आसपास कृषि भूमि के टुकड़े खरीदे थे, यह क्षेत्र अब न्यू चंडीगढ़ का हिस्सा है और गमाडा (ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) द्वारा विकसित किया जा रहा है। बिल्डर ने सैनी माजरा व अन्य गांवों के साझा रास्तों को भी घेरना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों ने इसके खिलाफ खरड़ अदालत का रुख किया। बाद में कुछ ग्रामीण बिल्डर को दो करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन बेचने पर सहमत हो गये, लेकिन कुछ लोगाें ने बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। बाद में, मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंचा, जिसने 2021 में फैसला सुनाया कि रास्ते के रूप में चिह्नित भूमि केवल ‘परित्यक्त’ घोषित होने पर ही बेची जा सकती है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नवंबर 2024 में जमीन बिल्डर को बेच दी गयी।