नीम के पेड़ों पर मंडराया संकट, वैज्ञानिकों ने जतायी ‘डाई -बैक’ रोग की आशंका
रामकुमार तुसीर/ निस
सफीदों, 31 मार्च
औषधीय गुणों से भरपूर नीम के पेड़ों पर हरियाणा में संकट मंडरा रहा है। ज्यादातर पेड़, चाहे ये वन विभाग के हों या निजी, सूख चुके हैं। सरकार भले ही पेड़ों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 75 वर्ष से ज्यादा आयु के पेड़ों के लिए पेंशन योजना लागू करके देश में हरियाणा को पहला राज्य बनाने का श्रेय ले रही है, लेकिन सूख चुके नीम के पेड़ों के बचाव की दिशा में विभाग ज्यादा मुस्तैद दिखाई नहीं पड़ता। माना जा रहा है कि ज्यादा ठंड के कारण ये पेड़ सूख गए हैं जो तापमान बढ़ने के साथ हरे हो जाएंगे लेकिन वसंत के मौसम में भी इन पेड़ों का सूखना चिंता बढ़ा रहा है।
वन विभाग के जींद जिला अधिकारी पवन ग्रोवर ने बताया कि सर्दी के कारण नीम की यह स्थिति हुई है, इसमें जल्द ही कोपलें निकलने लगेंगी। इसी तरह भिवानी के जिला अधिकारी राजेश वत्स का कहना था कि पिछले दिनों सर्दी लंबे समय तक चली जिससे नीम की फिजियोलॉजी डिस्टर्ब हो गई। सर्दी सूखी थी, नमी नहीं थी और ह्यूमिडिटी भी कम थी। वत्स ने उम्मीद जाहिर की कि 10 अप्रैल के आसपास सूख गए पेड़ों में कोपलें निकलनी शुरू हो जाएंगी।
देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में अनुसंधान के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ अनुराग त्रिपाठी ने फोन पर ही फोटो देखकर कहा कि यह डाई-बैक रोग है जिसका परीक्षण होना चाहिए। बता दें कि कई वर्ष पूर्व कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना, गुजरात में नीम के पेड़ों में फफूंदरोग ‘डाई-बैक’ से भारी नुकसान हो चुका है।