मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

गारंटी-वारंटी को लेकर सावधान रहने की जरूरत

07:45 AM Oct 18, 2023 IST

श्रीगोपाल नारसन

Advertisement

जब भी किसी उत्पाद की खरीदारी करने जाते हैं, तब अक्सर दुकानदार या विक्रेता उत्पाद बेचते समय आपको उस उत्पाद की गुणवत्ता व कब तक उत्पाद खराब नहीं होगा, के बारे में बताता है। साथ ही यह भी कि इस उत्पाद की वारंटी इतने समय की है और अन्य उत्पाद की गारंटी इतने समय तक की है, उस समय हम यह नहीं समझ पाते कि आखिर यह वारंटी और गारंटी है क्या? हम कई बार वारंटी को गारंटी मान बैठते हैं। जब बताए गए समय से पहले उत्पाद ख़राब हो जाये ,तब हम वारंटी और गारंटी के फेर में फंस जाते हैं। क्योंकि गारंटी और वारंटी का अंतर अधिकतर लोगों को पता नहीं होता। वास्तव में दोनों शब्द एक-दूसरे से बहुत अलग हैं। सबसे पहले उपभोक्ता को गारंटी या फिर वारंटी का लाभ लेने के लिए पक्का बिल या वारंटी कार्ड अपने पास सुरक्षित रखना चाहिये। यह होने के बाद भी यदि कोई दुकानदार संबंधित उत्पाद को बदलने से या फिर मरम्मत करवाने से मना करता है तो खरीदार यानि उपभोक्ता उक्त अन्याय के विरुद्ध उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

वारंटी यानी मरम्मत व खराब पार्ट बदलना

किसी विक्रेता की ओर से उपभोक्ता को दी जाने वाली एक विशेष सुविधा को वारंटी कहते हैं, जिसमें उत्पाद के किसी निश्चित अवधि तक खराब होने की दशा में दुकानदार या फिर निर्माता कम्पनी द्वारा उस उत्पाद को ठीक कराकर दिया जाता है। वारंटी प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता के पास वस्तु का पक्का बिल या वारंटी कार्ड होना चाहिए। वारंटी एक निश्चित समय के लिए होती है, ज्यादातर उत्पादों के मामले में यह अवधि एक वर्ष होती है। यदि उपभोक्ता इस एक वर्ष या फिर वारंटी कार्ड में अंकित समयावधि के भीतर उत्पाद को मरम्मत के लिये दुकानदार के पास ले जाता है तो उसकी मरम्मत करवाना और पार्ट खराब है तो उसे बदलकर नया लगाना दुकानदार-कम्पनी का दायित्व है। जबकि गारंटी में जब कोई उत्पाद गारंटी पीरियड के दौरान ख़राब हो जाता है और उत्पाद या गारंटी कार्ड पर एक वर्ष की गारंटी लिखी है तो दुकानदार या निर्माता कम्पनी उपभोक्ता को नया उत्पाद देने के लिए बाध्य होती है। पुराने ख़राब उत्पाद के बदले नया उत्पाद देने को ही गारंटी कहा जाता है।

Advertisement

गारंटी प्राप्ति के लिए लाजिमी पक्का बिल

गारंटी सुविधा प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता के पास या तो खरीदी गयी वस्तु का पक्का बिल हो या गारंटी कार्ड होना चाहिए। वहीं गारंटी पीरियड के ख़त्म होने के पहले ही ख़राब उत्पाद को दुकानदार या उत्पाद निर्माता कम्पनी के पास ले जाना चाहिए, तभी ख़राब उत्पाद के बदले नया उत्पाद मिल सकेगा। वारंटी लगभग हर उत्पाद पर मिलती है,जबकि गारंटी चुनिन्दा उत्पादों पर ही मिलती है। वारंटी का तय समय अधिक होता है जबकि गारंटी कम समय के लिए दी जाती है। जब भी आप कोई उत्पाद टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन आदि खरीदते हैं तो पहला सवाल यही उठता है कि उत्पाद की गारंटी, वारंटी क्या है? यदि उसी समय गारंटी या वारंटी का पता नहीं किया और उसका पता उपभोक्ता को बाद में चलता है,तो उन्हें अपने उत्पाद को बदलवाने या ठीक करवाने में काफी परेशानी हो सकती है।

कानून सम्मत है खराब वस्तु बदलना

बेहतर है कि उत्पाद खरीदने से पहले ही वारंटी व गारंटी में अंतर और शर्तों के बारे में पता कर लें। विधि सम्मत यही है कि जब किसी उत्पाद में खराबी हो जाती है तो गारंटी की स्थिति में दुकानदार या कंपनी को वह उत्पाद बदलना ही पड़ता है। जबकि वारंटी में केवल खराब हुआ पार्ट ही बदला जाता है या ठीक कर दिया जाता है। जैसे आप वॉशिंग मशीन लेकर आए हैं और वह वारंटी पीरियड में ही खराब हो जाती है तो कंपनी बिना किसी शुल्क उसे ठीक कर देगी।

शर्तों को ध्यान से पढ़ें

वारंटी व गारंटी से जुड़ी शर्तों को खरीदारी के समय ही ध्यान से पढ़ना चाहिए, क्योंकि हर उत्पाद की अलग-अलग सेवा शर्तें होती हैं। सामान क्षतिग्रस्त होने पर, दुर्घटना, दुरुपयोग, कीट आक्रमण, अनधिकृत संशोधन, बिजली, आग, नेचुरल प्रॉब्लम आदि की वजह से उत्पाद खराब होता है तो वारंटी या फिर गारंटी का फायदा नहीं मिल पाता है। साथ ही विक्रय सीरियल नंबर से छेड़छाड़ होने की दशा में भी वारंटी का फायदा नहीं मिलता है। इसलिए जागरूकता में ही उपभोक्ता का हित छिपा है।

-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

Advertisement